हाई एनर्जी लेजर सिस्टम (HELS ) विकसित करने के लिए DRDO के साथ साझेदारी
हाल ही में SFO टेक्नोलॉजीज ने हाई एनर्जी लेजर सिस्टम (HELS ) विकसित करने के लिए DRDO के साथ साझेदारी की है।
इस साझेदारी के तहत, DRDO के सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS ) के साथ सहयोग किया गया है। इस सहयोग से 2kW सिंगल – मोड कंटीन्यूअस वेव फाइबर लेजर का विकास किया जाएगा ।
CHESS, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के अंतर्गत HELS पर अनुसंधान एवं कार्य के लिए एक रक्षा प्रयोगशाला है ।
HELS के बारे में
- HELS हथियार पर्याप्त तापीय ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं। यह ऊर्जा एक पारंपरिक युद्ध सामग्री का उपयोग किए बिना एक लक्ष्य को सीधे अप्रभावी बना सकती है।
- ये हथियार हवा, जमीन, समुद्र और अंतरिक्ष में लक्ष्य को प्रभावित कर सकते हैं।
- HELS एक लेजर हथियार है। यह निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed-energy weapon-DEW) श्रेणी से संबंधित है ।
- DEW एक व्यापक शब्दावली है। इसका उपयोग उन सभी प्रौद्योगिकियों को इंगित करने के लिए किया जाता है, जो केंद्रित विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा या परमाणु या उप-परमाणु कणों का एक बीम उत्पन्न कर सकते हैं।
- इस क्षेत्र में भारत जो हथियार विकसित कर रहा है, उसे डायरेक्शनली अनरिस्ट्रिक्टेड रेगन ऐरे (DURGA II) नाम दिया गया है।
- अन्य परियोजनाएं: किलो एम्पीयर लीनियर इंजेक्टर (KALI), प्रोजेक्ट आदित्य और एयर डिफेंस डेजलर्स ।
DEW के लाभ :
- ये हथियार स्पीड ऑफ लाइट इंगेजमेंट प्रदान करते हैं । इससे प्रतिक्रिया और ट्रैकिंग बहुत तीव्र बन जाती है। ‘स्टील्थ हथियार प्रणाली जैसा प्रदर्शन (शांत और अदृश्य बीम) ।
- घातक और गैर- घातक दोनों अनुप्रयोगों के लिए लक्ष्य को सटीक तरीके से भेदा जा सकता है ।
- इनकी प्रति शॉट लागत कम होती है ।
- रूस, फ्रांस, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल और चीन DEW विकसित करने के लिए मजबूत कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं।
स्रोत – द हिन्दू