हर गोबिंद खुराना की 100वीं जयंती मनाई गई उनका जन्म पाकिस्तान के मुल्तानजिले के रायपुर गांव में हुआ था। परन्तु बाद में वह अमेरिका के देशीयकरण विधि से नागरिक बन गए थे। वर्ष 1969 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
हर गोबिंद खुराना प्रारंभिक कार्य रसायन विज्ञान से संबंधित था। बाद में उन्होंने जीव विज्ञान से जुड़ीसमस्याओं को हल करने के लिए रसायन विज्ञान के सिद्धांतों का प्रयोग करना आरंभ कर दिया था। इस प्रकार एक नये क्षेत्र रासायनिक जीव विज्ञान कीशुरुआत हुई।
प्रमुख उपलब्धियां
- वर्ष 1968 में उन्हें शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित (निरेनबर्ग और होली के साथसंयुक्त रूप से) किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें जेनेटिककोड और प्रोटीन संश्लेषण में इसके कार्यों की व्याख्या के लिए दिया गया था।
- उन्होंने यह प्रमाणित किया कि जेनेटिककोड मेंअलग-अलग तीन अक्षर वाले शब्द होते हैं। ये कोशिका कोयह सूचना देते हैं कि इस कोड को कहां से पढ़ना शुरू करना है और कहां रुकना है।
- उन्होंने विश्व के प्रथम कृत्रिम जीन का निर्माण किया। इसने जेनेटिकइंजीनियरिंग और जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे की प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया।
- उन्होंने रोडोप्सिन में उत्परिवर्तनों (mutations) की जांच की थी। ये उत्परिवर्तनरेटिनाइटिसपिगमेंटोसा से जुड़े होते हैं। रेटिनाइटिस के कारण रतौंधी (blindness) रोगहोता है।
- उन्होंने पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) परीक्षणों के विज्ञान में भी योगदान दिया था। इसका उपयोग एक विशिष्ट जीव (जैसे वायरस) की आनुवंशिक सामग्री का पता लगाने के लिए किया जाता है।
- ट्रांसफरआर.एन.ए. या टी-आर.एन.ए. की संरचना की खोज की थी। यह छोटा RNA अणु होता है, जो प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेता है।
स्रोत – द हिन्दू