हरित ऊर्जा गलियारा के चरण II

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतर्राज्यीय पारेषण प्रणाली (InSTS) हरित ऊर्जा गलियारा के चरण II (GEC-II) के लिए 12,000 करोड़ रुपये को स्वीकृति प्रदान की हैं।

हरित ऊर्जा गलियारा (GEC) परियोजना का लक्ष्य ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों (जैसे सौर और पवन ऊजा) से उत्पादित विद्युत को ग्रिड में मौजूद पारंपरिक विद्युत स्टेशनों में आपूर्ति करना है।

इसका उद्देश्य परियोजना में शामिल राज्यों में ट्रांसमिशन लाइन और सब-स्टेशन स्थापित करके एवं ग्रिड में सुधार करके व्यापक पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोगकरना है।

GEC- IIगुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय ग्रिड को 20 गीगावॉट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा (RE) की आपूर्ति करने में मदद करेगा।

GEC-I, 8 राज्यों (ऊपर उल्लिखित 7 राज्यों और मध्य प्रदेश) में कार्यान्वित किया जा रहा है। यह वर्ष 2022 तक लगभग 24 गीगावॉटनवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्तिकरने में सहायता करेगा।

परियोजना का महत्व

इससे वर्ष 2030 तक 450 गीगावॉटनवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

यह लंबी अवधि की ऊर्जा सुरक्षा में सहायता करेगी। साथ ही, कार्बन फुटप्रिंट को कम करकेपारिस्थितिक रूप से सतत विकास को बढ़ावा देगी।

यह परियोजना विद्युत और अन्य संबंधित क्षेत्रों में कुशल एवं अकुशल दोनों तरह के कर्मियों के लिए अवसर निर्मित करेगी।

यदि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से राष्ट्रीय ग्रिड को रुक-रुक कर विद्युत की व्यापक आपूर्ति की जाती है, तो इससे ग्रिड को कोई खतरा नहीं होगा।

हाल ही में, भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा की 40% स्थापित क्षमता (392.01 गीगावाट में से 157.32 गीगावाट) की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त कर ली है। उल्लेखनीय है कि भारत ने पेरिस में आयोजित COP-21 के दौरान वर्ष 2030 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता प्रकट की थी।

स्रोत – द हिन्दू

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