लक्षद्वीप में हरित व स्व-ऊर्जा संचालित विलवणीकरण संयंत्र स्थापित
हाल ही में राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) लक्षद्वीप में हरित व स्व-ऊर्जा संचालित विलवणीकरण संयंत्र स्थापित करेगा।
इसके एक बार परिचालित हो जाने के बाद यह संभवतः विश्व का पहला विलवणीकरण संयंत्र होगा, जो समुद्री जल को पेयजल में परिवर्तित करने के साथ-साथ संयंत्र को बिजली की आपूर्ति भी करेगा ।
वर्तमान विलवणीकरण संयंत्र डीजल जनरेटर सेट द्वारा संचालित होते हैं। इससे वायु प्रदूषण होता है। साथ ही, द्वीप में डीजल पहुंचाने से संयंत्र संचालन की लागत भी बढ़ जाती है ।
NIOT ने लक्षद्वीप के छः द्वीपों में निम्न – तापीय थर्मल विलवणीकरण (LTTD) संयंत्र स्थापित किए हैं। एक LTD उत्तरी चेन्नई में भी स्थापित किया गया है।
विलवणीकरण समुद्री जल या मुहाने के खारे पानी से ताजा जल प्राप्त करने की प्रक्रिया है ।
LTD प्रक्रिया के तहत गर्म सतही समुद्री जल को निम्न दाब पर आंशिक रूप से वाष्पीकृत किया जाता है। इसके बाद वाष्प को ठंडे गहरे समुद्री जल के साथ संघनित किया जाता है ।
ठंडा जल गर्म जल ( सतह के स्तर पर ) को संघनित करता है । वैक्यूम पंपों का उपयोग करके गर्म जल के दाब का कम किया गया होता है। संघनित जल लवण और संदूषकों से मुक्त होता है तथा यह पेयजल के लिए उपयुक्त होता है।
अब, गर्म जल के दाब को कम करने के लिए आवश्यक ऊर्जा डीजल से प्राप्त करने की बजाय, ओशन थर्मल एनर्जी कन्वर्जन ( OTEC ) तकनीक से उत्पन्न की जाएगी। पहले ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए डीजल संचालित वैक्यूम पंपों का उपयोग किया जाता था ।
LTTD के लाभ
- समुद्री जल के उपचार से पहले और बाद की प्रक्रियाओं में किसी भी रसायन की आवश्यकता नहीं होती है। इससे प्रदूषण की समस्या बहुत हद तक कम हो जाती है।
- यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वदेशी, मजबूत और पर्यावरण के अनुकूल है।
- NIOT पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है । यह संस्था LTTD संयंत्रों के डिजाइन, विकास, प्रदर्शन और शुरुआत के लिए जिम्मेदार है।
स्रोत – इकोनॉमिक्स टाइम्स