स्वीप: ECI
हाल ही में ‘भारत निर्वाचन आयोग’ द्वारा दो दिवसीय “स्वीप-व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी” (Systematic Voter’s Education and Electoral Participation- SVEEP) परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इसे वर्ष 2009 में मतदाता शिक्षा के लिये ‘भारत निर्वाचन आयोग’ के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में आरंभ किया गया है।
- इस कार्यक्रम का लक्ष्य सभी पात्र नागरिकों को मतदान करने एवं एक निर्णय एवं नैतिक विकल्प प्रदान कर प्रोत्साहित करके एक समावेशी और सहभागी लोकतंत्र के निर्माण की रचना करना है।
अन्य संबंधित पहल:
‘नोटा’ विकल्प:
नोटा का विकल्प मतदाताओं को यह शक्ति प्रदान करता है कि वे किसी भी उम्मीदवार को वोट न दें।
वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिटट्रेल:
यह स्वतंत्र सत्यापन प्रिंटर मशीन है और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से जुडी हुई है। यह मतदाताओं को यह सत्यापित करने की शक्ति देता है कि उनका वोट उनके ही उम्मीदवार को गया है या नहीं।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस:
यह ‘भारत निर्वाचन आयोग’ के गठन को चिह्नित करने के लिये साल 2011 से प्रति वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है।
सी-विजिल एप:
इस एप को ऑटोलोकेशन डेटा के साथ लाइव फोटो अथवा वीडियो सहित आदर्श आचार संहिता एवं व्यय संबंधी उल्लंघन का टाइम-स्टैम्प, साक्ष्य-आधारित प्रमाण प्रदान करता है।
भारत निर्वाचन आयोग
- संविधान में यह एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- यह लोकसभा,राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनावों का प्रशासन करता है।
- भारतीय संविधान का भाग XV चुनावों से संबंधित है और इन मामलों के लिये एक आयोग की स्थापना का प्रावधान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 324 से 329 आयोग और सदस्यों की शक्तियों, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित है।
- मूल रूप से इसमें केवल एक चुनाव आयुक्त था, लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के बाद इसे एक बहु-सदस्यीय निकाय बना दिया गया है।
- वर्तमान में इसमें 1 मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और 2 चुनाव आयुक्त (ईसी) होते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति के द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- ये सभी 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने (जो भी पहले हो)की अवधि के लिये पद धारण करते हैं।
स्रोत –पीआईबी