स्वास्थ्य – देखभाल तक पहुंच मानकों को अधिसूचित किया
इन मानकों के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
दिव्यांग व्यक्तियों को निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना।
स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को सुलभ स्वास्थ्य देखभाल के लिए वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाना ।
स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को सीमित करने वाले कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं-
अगम्य (inaccessible) भौतिक अवसंरचना,
भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक सूचना एवं संचार सामग्री का पहुंच से बाहर होना,
उपचार से वंचित किया जाना,
अप्रशिक्षित और अपर्याप्त कर्मचारी आदि ।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 2.21 प्रतिशत है।
दिव्यांगों के लिए शुरू की गई पहलें :
भारत ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की अभिपुष्टि की है।
यह बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क (2002) का हस्ताक्षरकर्ता है। इसके अलावा, भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांगजनों की पूर्ण भागीदारी और समानता पर घोषणा – पत्र (2000) का एक हस्ताक्षरकर्ता देश भी है।
कानूनः दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 को लागू किया गया है।
दो नए राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना: भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र तथा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान की स्थापना की गई है।
योजनाएं/अभियानः
सहायक उपकरणों की खरीद / फिटिंग के लिए दिव्यांग व्यक्तियों को सहायता (ADIP) योजना, छात्रवृत्ति योजनाएं, सुगम्य भारत अभियान आदि ।
“ICT उत्पादों और सेवाओं के लिए अभिगम्यता अपेक्षाएं” पर BIS मानक IS 17802 जारी किया गया है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस