स्वामित्व योजना का पूरे देश में विस्तार
24 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री देश के सभी गांवों में स्वामित्व योजना के विस्तार का शुभारंभ करेंगे। ज्ञात हो कि 24 अप्रैल, 2020 को पंचायती राज दिवस के अवसर पर ही प्रधानमंत्री द्वारा ‘स्वामित्व योजना’ का आरम्भ किया गया था। इस योजना को सर्वप्रथम देश के 9 राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में लागू किया गया था।
- इस योजना के तहत अभी तक देश के 2481 गांवों में 3 लाख से अधिक परिवारों को उनकी संपत्ति के अधिकार पत्र दिए जा चुके हैं।
- देश में संपत्ति के सटीक सर्वे के लिए अब तक लगभग 40,514 गांवों में ड्रोन द्वारा सर्वेक्षण किया गया है।
स्वामित्व’ योजना:
- SVAMITVA का पूरा नाम “Survey of Villages Abadi and Mapping with Improvised Technology in Village Areas” है।
- इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में घर के मालिक को सम्पति का अधिकार दिया जाना है जिसके तहत एक संपत्ति कार्ड का वितरण भी किया जाएगा।
- इस योजना में देश के गांवों के लोगों को उनकी आवासीय जमीन का मालिकाना हक प्रदान किया जाएगा जिसके तहत गांवों में जमीन की माप हेतु ड्रोन सर्वेक्षण की मदद ली जाएगी।
- विदित हो कि ‘स्वामित्व योजना’ में ड्रोन और अन्य नवीनतम तकनीकों की सहायता से रिहाइशी भूमि का सीमांकन कर ग्रामीण क्षेत्रों में एकीकृत संपत्ति सत्यापन (Integrated Property Validation) की एक व्यवस्था स्थापित की जा रही है।
- इन सभी राज्यों ने ग्रामीण क्षेत्रों के ड्रोन सर्वेक्षण और योजना के कार्यान्वयन के लिये भारत के सर्वेक्षण विभाग की ड्रोन उड़ान गतिविधियों में सहायता हेतु कोर्स (CORS) नेटवर्क के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- इस योजना को चार वर्षों (2020-2024) के दौरान पूरे देश में लागू किया जाएगा जिसके तहत देश के लगभग 62 लाख गाँवों को कवर किया जाएगा।
लाभ:
- आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में इस योजना ने एक सशक्त कदम उठाया है। यह योजना हमारे देश के गांवों की दशा एवं दिशा बदलने में ऐतिहासिक भूमिका निभाएगी।
- इस कदम का ग्रामीण भारत पर परिवर्तनकारी प्रभाव दिखेगा और लाखों लोग सशक्त होंगे। इससे ग्रामीण अपनी भू-संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे ।
- इस योजना से भूमि की मालकियत मिलने के उपरांत इस भूमि का इस्तेमाल ऋण आदि के आवेदन समेत अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा।
- इस योजना से गांवों की जमीन के कानूनी झगड़े को कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि गांव की खेती की जमीन का रिकॉर्ड तो खसरा—खतौनी में होता है, लेकिन गांवों की आवासीय जमीन के मालिकाना हक के आधार का कोई अभिलेख नहीं होता था।
- अब स्वामित्व योजना के माध्यम से प्रत्येक आवासीय संपत्ति का निश्चित मालिकाना हक सुनिश्चित किया जा सकेगा।
स्रोत – पीआईबी