भारत-UAE के बीच ‘स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली’ और UPI को बढ़ावा देने के लिए समझौता
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने सीमा-पार लेनदेन के लिए दोनों देशों की स्थानीय मुद्राओं के इस्तेमाल को संभव बनाने के लिए एक ढांचा स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की है।
और अपने भुगतान सिस्टम UPI को यूएई के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (IPP) के साथ जोड़ने से संबंधित दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
भारतीय रुपए (INR) और संयुक्त अरब अमीरात दिरहम (AED) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (LCSS) स्थापित करने के तहत समझौते पर प्रधानमंत्री की अबू धाबी, UAE की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर भी किये गए।
प्रमुख बिंदु
मई 2022 में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के कार्यान्वयन के बाद से यूएई-भारत व्यापार में लगभग 15% की वृद्धि हुई है।
तेल खरीद सहित द्विपक्षीय व्यापार लगभग 85 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें से भारत को यूएई का निर्यात लगभग 50 बिलियन डॉलर रहा। यह संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला है।
यह लेनदेन लागत को कम करके और इसे आसान बनाकर भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार को काफी आसान बना देगा।
रुपया-दिरहम समझौता द्विपक्षीय है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था को ‘डी-डॉलराइज’ करने का कोई एजेंडा नहीं है।
स्थानीय मुद्रा लेनदेन समझौता से लाभ
भारतीय रुपये और संयुक्त अरब अमीरात के दिरहम में भुगतान करने की इजाजत देने का मकसद द्विपक्षीय रूप से इन दोनों मुद्राओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है।
जिससे लेनदेन से निपटने के लिए मध्यस्थ के रूप में अमेरिकी डॉलर जैसे तीसरे देश की मुद्रा पर निर्भरता कम होगी।
दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच हुए समझौता ज्ञापन के मुताबिक, इन देशों के निर्यातकों और आयातकों सहित सभी चालू खाता भुगतान और कुछ अनुमति प्राप्त पूंजीगत खाते से जुड़े लेनदेन का निपटान रुपये या दिरहम का इस्तेमाल करके किया जा सकता है।
विनिमय को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक स्थानीय मुद्रा विनिमयप्रणाली स्थापित किया जायेगा साथ ही,केन्द्रीय बैंकों द्वारा अपने भुगतान प्रणाली को आपस में जोड़ दिया जायेगा।
इस तंत्र की स्थापना से रुपया-दिरहम आधारित विदेशी मुद्रा बाजार का विकास होगा, जिससे डॉलर और यूरो जैसी अन्य मुद्राओं के साथ दोनों देशों की मुद्राओं के विनिमय दरों से स्वतंत्र मूल्य निर्धारण करने में मदद करेगा।
भारतीय और अमीराती व्यवसायों को किसी दूसरे देश में खरीदारों को वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के लिए मूल्य बताते वक्त विनिमय दर से जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखने की जरूरत नहीं होगी, जिससे व्यापार करने में और आसानी होगी तथा व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच की यह स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली संभावित रूप से इसी किस्म के अन्य द्विपक्षीय मुद्रा समझौतों की दिशा में एक अग्रदूत के रूप में भी काम कर सकती है।
जैसा कि इस महीने आरबीआई अंतर-विभागीय समूह ने सुझाव दिया था, रुपये के अंतर्राष्ट्रीय करण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
पेमेंट और मैसेज प्रणाली
दूसरे समझौता ज्ञापन के तहत, ‘पेमेंट और मैसेज प्रणाली’ पर, दोनों केंद्रीय बैंक अपने फास्ट पेमेंट सिस्टम (FPSs) – भारत की UPI को संयुक्त अरब अमीरात के IPP के साथ जोड़ने पर सहयोग करने पर सहमत हुए।
दूसरा समझौता बैंकों को अपने भुगतान और मैसेजिंग सिस्टम को UPI और IPP के साथ जोड़ने में मदद करेगा।
संबंधित कार्ड स्विच (RuPay स्विच और UAESWITCH) को जोड़ना और भारत की पेमेंट मैसेजिंग सिस्टम – SFMS) को यूएई में मैसेजिंग सिस्टम के साथ जोड़ने की खोज भी शामिल थी।
UPI -IPP लिंकेज किसी भी देश में उपयोगकर्ताओं को तेज, सुविधाजनक, सुरक्षित और लागत प्रभावी क्रॉस-बॉर्डर फंड ट्रांसफर करने में सक्षम बनाएगा।
कार्ड स्विचों को जोड़ने से घरेलू कार्डों की पारस्परिक स्वीकृति और कार्ड लेनदेन की प्रोसेसिंग में सुविधा होगी।
मैसेजिंग सिस्टम के लिंकेज का उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय फाइनेंसियल मैसेजिंग को सुविधाजनक बनाना है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस