स्थानीय तापमान का बढ़ना (सौर भू-अभियांत्रिकी)
स्थानीय तापमान का बढ़ना सौर भू-अभियांत्रिकी (Geoengineering) के बावजूद भी स्थानीय तापमान का बढ़ना वर्षों तक जारी रह सकता है ।
सौर भू-अभियांत्रिकी को सौर विकिरण प्रबंधन (SRM) भी कहा जाता है। इस शब्दावली का इस्तेमाल उन परिकल्पित प्रौद्योगिकियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो सैद्धांतिक रूप से पृथ्वी की सतह से सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके तापमान वृद्धि को रोक सकती हैं।
हालांकि, SRM प्रौद्योगिकियां सैद्धांतिक रूप से वैश्विक तापवृद्धि को कम कर सकती हैं, लेकिन इनका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करना नहीं है।
सामान्य रूप से प्रस्तावित सौर भू–अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियां–
- समतापमंडलीय एरोसोल इंजेक्शन (SAI): इसमें पृथ्वी को ठंडा करने के लिए ऊपरी वायुमंडल में एरोसोल नामक छोटे परावर्तक कणों का प्रवेश कराया जाता है।
- मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB): इसके तहत समुद्र के ऊपर बादलों में लवणयुक्त जल का छिड़काव करने के लिए जहाजों का उपयोग किया जाता है। हवा में प्रवेश करने के बाद ये लवण के कण “मेघ संघनन नाभिक” के रूप में कार्य करते हैं। ये बड़े और चमकीले बादल बन जाते हैं, तथा सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर देते हैं।
- महासागर दर्पण: महासागर की सतह पर लाखों सूक्ष्म बुलबुले बनाने के लिए समुद्री जहाजों के बेड़े का उपयोग किया जाता है।
- क्लाउड थिन्निंगः वायुमंडल से पक्षाभ (cirrus) मेघों को हटा दिया जाता है। ये मेघ बड़ी मात्रा में दीर्घ-तरंग विकिरण को अवशोषित करते हैं।
- अंतरिक्ष में सनशेड: इसके तहत सूर्य के प्रकाश को अधिक मात्रा में परावर्तित करने के लिए एक विशाल दर्पण या कई दर्पणों को कक्षा में भेजना शामिल है।
स्रोत – द हिन्दू