‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने श्रीनगर में स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण किया है।
स्वामी रामानुजाचार्य की ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ को श्रीनगर के सोनवर क्षेत्र के एक मंदिर में स्थापित किया गया है।
फरवरी 2022 में, प्रधानमंत्री ने हैदराबाद में स्वामी रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी’ का भी अनावरण किया था।
संत रामानुजाचार्य के बारे में
- उन्हें रामानुज नाम से भी जाना जाता है। वे एक महान विचारक, दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
- उन्हें श्री वैष्णव परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिपादकों में से एक माना जाता है।
- उनका जन्म 11वीं शताब्दी में तमिलनाडु में हुआ था।
रामानुजाचार्य का योगदान
- उन्होंने विशिष्टाद्वैत (विशिष्ट+अद्वैत) (योग्य अद्वैतवाद) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया था।
- उन्होंने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया।
- वे अन्नामचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर, मीराबाई आदि कवियों/रचनाकारों के लिए प्रेरणास्रोत
- थे।
- उन्होंने श्री भाष्य, गीता भाष्य और वेदार्थ-संग्रह सहित नवरत्नों के नाम से विख्यात नौ शास्त्रों की रचना की थी। उन्होंने वैदिक शास्त्रों पर भाष्यों की भी रचना की थी।
- उन्हें संपूर्ण भारत में मंदिरों में किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए सही प्रक्रियाओं को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। इनमें सबसे प्रसिद्ध तिरुमाला और श्रीरंगम हैं।
- वे समतावादी समाज के समर्थक थे। इसके लिए इन्होने अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई, मंदिर में सभी के प्रवेश को प्रोत्साहित किया,’वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा का समर्थन किया।
- विदित हो कि यह अवधारणा मूल रूप से महा उपनिषद में वर्णित है।
- माना जाता है कि वे महिलाओं को ‘संन्यास’ (संसारका त्याग) धारण की अनुमति देने वाले पहले हिंदू आचार्य थे।
- ज्ञातव्य हो कि श्रीनगर की स्टैच्यू ऑफ पीस, प्रधान मंत्री द्वारा जैन भिक्षु आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर की राजस्थान (2020) में अनावरण की गई ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ से अलग है ।
स्रोत –द हिन्दू