सौर मिशन आदित्य एल 1 के लिए सहायता केंद्र
हाल ही में, आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES) को, आदित्य एल 1 मिशन के विभिन्न पेलोड पर काम की निगरानी और समन्वय के लिए एक ग्राउंड सपोर्ट सेंटर की आवश्यकता को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मुख्य बिंदु:
- आदित्य एल- 1, देश भर के विभिन्न संस्थानों द्वारा विकसित किए गए, सात पेलोड ले जाएगा। मिशन शुरू होने के बाद, इसके विभिन्न पेलोड पर काम की निगरानी और समन्वय के लिए एक ग्राउंड सपोर्ट सेंटर की आवश्यकता होती है ।
- यह भूमिका, ARIES सुविधा (आर्यभट्टप्रेक्षणविज्ञान शोध संस्थान ) द्वारा निभाई जाएगी, जो नैनीताल के पास स्थित है।
- जनवरी 2021 में ARIES टीम द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के आधार पर इस संदर्भ में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- आदित्य-एल 1 सपोर्ट सेंटर (एएससी) अतिथि उपयोगकर्ताओं के लिए नियमित कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान करेगा। साथ ही उपग्रह डेटा के लिए रेडी-टू-यूज़ पायथन और जावा ऐप, और अतिथि उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए डेमो और हैंडआउट प्रदान करेगा।
आदित्य एल- 1 मिशन:
- आदित्य एल -1 एस्ट्रोसैट के बाद इसरो का दूसरा अंतरिक्ष-आधारित खगोल विज्ञान मिशन होगा।यह सूर्य का बारीकी से निरीक्षण करेगा और इसके वायुमंडल और चुंबकीय क्षेत्र का भीअध्ययन करेगा।
- इस मिशन में सूर्य के कोरोना, सौर उत्सर्जन, सौर हवाओं और फ्लेयर्स के साथ कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejections- CME) का अध्ययन करने हेतु बोर्ड पर 7 पेलोड (उपकरण) उपलब्ध होंगे।
- ISRO द्वारा आदित्य L-1 को, 400 किलोग्राम-वर्ग के उपग्रह के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसको ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान- XL (PSLV- XL) द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।
एस्ट्रोसैट:
- एस्ट्रोसैट भारत द्वारा निर्मित एक बहु-तरंगदैर्ध्य दूरबीन (India’s Multi-Wavelength Space Telescope) है।
- एस्ट्रोसैट को ISRO द्वारा वर्ष 2015 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा) से PSLV द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
- इस मिशन का वैज्ञानिक उद्देश्य, न्यूट्रॉन सितारों और ब्लैक होल के साथ द्वि-आधारी सिस्टम में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं को समझना है।
- एस्ट्रोसैट उपग्रह एक ही समय में विभिन्न खगोलीय पिंडों के बहु-तरंगदैर्ध्य (मल्टी-वेवलेंथ) अवलोकन में सक्षम है।
स्त्रोत – द हिन्दू