हाल ही में सॉलिड स्टेट लिथियम मेटल बैटरी (SSLMB) के रूप में बैटरी प्रौद्योगिकी में सफलता प्राप्त हुई है।
फॉक्सवैगन ने वर्ष 2025 तक सॉलिड स्टेट बैटरी का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यहलक्ष्य क्वांटमस्केप के साथ साझेदारी में प्राप्त किया जाएगा। एक सॉलिड-स्टेट बैटरीपॉलीमरसेपरेटर को सॉलिड-स्टेट सेपरेटर से प्रतिस्थापित कर देती है। पॉलीमरसेपरेटर पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरी में प्रयोग होता है।
- लिथियम आयन बैटरीएनोड और कैथोड को पृथक करने के लिए जलीय विद्युत अपघट्य (Electrolyte) विलयन का उपयोग करती है। एनोड सामान्य रूप से ग्रेफाइट से बने ऋणात्मक इलेक्ट्रोड होते हैं तथा कैथोडलिथियम से बने धनात्मक इलेक्ट्रोड होते हैं।
- दूसरी ओर, सॉलिड स्टेट बैटरी ठोस विद्युत अपघट्य का उपयोग करती है। यह अपघट्यसेपरेटरकी भूमिका का भी निर्वहन करता है।
- सेपरेटर का प्रतिस्थापन कार्बन या सिलिकॉनएनोड की बजायेलिथियम-मेटलएनोड को प्रयोग करने में सक्षम बनाता है। कार्बन या सिलिकॉनएनोड पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरी में उपयोग किए जाते हैं।
- लिथियममेटलएनोड पारंपरिक एनोड की तुलना में अधिक ऊर्जा सघन होता है। इससे बैटरी समान मात्रा में अधिक ऊर्जा को संग्रहीत कर सकती है।
SSLMB के लाभ
- उच्च सेल ऊर्जा घनत्व (कार्बन एनोड को समाप्त करके)।
- कम चार्जिंग समय तथा अधिक चार्जिंग अवधि को बढ़ाने की क्षमता। इस प्रकार लंबी उपयोग अवधि प्रदान करने में सक्षम है।
- बेहतर सुरक्षा।
बैटरी प्रौद्योगिकी में भारत के प्रयास
- उन्नत रसायन विज्ञान प्रकोष्ठ (Advanced Chemistry Cell: ACC) बैटरीस्टोरेज निर्माण का प्रस्ताव
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की अनिश्चितताओं को संतुलित करने के लिए ग्रिड-स्केलबैटरीस्टोरेजसिस्टम हेतु परियोजना।
- रिलायंसइंडस्ट्रीज ने एक एनर्जीस्टोरेजगीगाफैक्ट्री स्थापित करने की योजना बनाई है।
स्रोत – द हिन्दू