सैन्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (REAIM)
हाल ही में विश्व का पहला “सैन्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन (REAIM)” नीदरलैंड के हेग में आयोजित किया गया है।
यह घातक स्वचालित हथियारों (LAWs) के प्रसार को रोकने और तेजी से विकसित हो रही शस्त्रीकरण तकनीक में आचार नीति और नैतिक कारक को शामिल करने वाली पहली वैश्विक पहल है।
गौरतलब है कि तेजी से विकसित हो रही शस्त्रीकरण तकनीक विनाशकारी क्षति पहुंचाने की क्षमता रखती है।
REAIM 2023 के उद्देश्य–
- सैन्य क्षेत्र में AI के उत्तरदायीपूर्ण उपयोग के विषय को राजनीतिक एजेंडे में सबसे ऊपर रखना।
- ठोस भावी चरणों में योगदान के लिए हितधारकों के व्यापक समूह को एकजुट करना और सक्रिय करना ।
- अनुभवों, सर्वोत्तम प्रथाओं और समाधानों को साझा करके ज्ञान को बढ़ावा देना तथा इसमें वृद्धि करना ।
सैन्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) की भूमिका
- सैनिकों को युद्ध क्षेत्र का अनुभव प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण और समान परिवेश में अभ्यास (सिमुलेशन) की सुविधा प्राप्त होती है ।
- विशेष रूप से दुर्गम सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करने के लिए निगरानी करने में मदद मिलती है।
- आक्रामक क्षमता प्रदान करती है। स्वचालित सशस्त्र ड्रोन इसका उदाहरण है, जो लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं ।
- लक्षित हमलों जैसी युद्ध स्थितियों में टोही और सामरिक समर्थन प्रदान कर सकती है।
सैन्य क्षेत्र में AI के उपयोग से जुड़ी चिंताएं
- नैतिक जोखिम : असैन्य और सैन्य परिसंपत्तियों व आबादी के बीच अंतर के सिद्धांत तथा बलों की तैनाती के आनुपातिकता के सिद्धांत से समझौता किया जाता है।
- डेटा पूर्वाग्रह : AI नस्लीय या लैंगिक पूर्वाग्रह जैसे डेटा से युक्त होती है। इससे तर्कसंगत निर्णय निर्माण प्रभावित होता है।
सैन्य क्षेत्र में AI के उपयोग को बढ़ाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- अलग-अलग डोमेन्स में AI के उपयोग से जुड़े शोध के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में समर्पित प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं ।
- डिफेंस AI प्रोजेक्ट एजेंसी (DAIPA) रक्षा संगठनों में AI आधारित प्रक्रियाओं को सक्षम बनाती है ।
स्रोत – टाइम्स ऑफ इंडिया