सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा (SBS) के तहत ब्रॉडबैंड सेवाएं
हाल ही में भारत में व्यापक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है ।
भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की मांग बढ़ रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जियो, वनवेब, ह्यूजेस और टाटा समर्थित नेल्को जैसी कंपनियां इन सेवाओं को प्रदान करने की तैयारी कर रही हैं।
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा (SBS) के तहत ब्रॉडबैंड सेवाएं, ऑप्टिकल फाइबर या मोबाइल नेटवर्क की बजाय सीधे कृत्रिम उपग्रहों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती हैं।
हाल ही में, वैश्विक सैटेलाइट संचार क्षेत्र में निम्नलिखित दो प्रमुख घटनाक्रम हुए हैं:
- LEO (निम्न–भू कक्षा समूह) का उदयः यह वैश्विक कवरेज और कम-विलंबता (lower latency) वाली सेवा प्रदान करता है; तथा
- HTS (हाई थूपुट सैटेलाइट सर्विस): यह अभूतपूर्व क्षमता और लचीलापन प्रदान करती है।
सितंबर 2022 में, सैटेलाइट इंटरनेट सेवा प्रदाता ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया (HCI) ने इसरो के उपग्रहों द्वारा संचालित भारत की पहली HTS ब्रॉडबैंड सेवा शुरू की थी।
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा के लाभ–
- यह उन दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं प्रदान करती है, जहां स्थलीय नेटवर्क स्थापित नहीं किए जा सकते हैं।
- इसे तुरंत स्थापित किया जा सकता है,
- सुदूर स्थलों, दुर्गम स्थानों, कठोर मौसम और स्थलीय बाधाओं से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद संचार सेवा प्रदान की जा सकती है।
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा से जुड़ी चुनौतियां–
- सैटेलाइट इंटरनेट की लेटेंसी, वीडियो चैट जैसे रीयल-टाइम एप्लिकेशन को प्रभावित कर सकती है।
- सैटेलाइट डेटा ट्रांसफर धीमी इंटरनेट गति और सीमित उपग्रह बैंडविड्थ प्रदान कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि सिग्नल को अधिक दूरी तय करनी पड़ती है।
- आसपास का परिवेश, मैसेज का आकार तथा सैटेलाइट नेटवर्क की स्थिति और उपलब्धता भी कनेक्शन के समय को प्रभावित कर सकते हैं।
स्रोत – द हिन्दू