सेमीकंडक्टर चिप्स विनिर्माण
भारत ने चिप्स विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली अमेरिका की 280 बिलियन डॉलर की योजना का विरोध किया है।
हाल ही में, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका की व्यापार नीति समीक्षा’ के दौरान भारत ने महत्वाकांक्षी चिप्स अधिनियम (CHIPS Act) पर अमेरिका से स्पष्टीकरण मांगा है।
अमेरिका ने क्रिएटिंग हेल्पफुल इंसेंटिव्स टू प्रोड्यूस सेमीकंडक्टर्स (CHIPS) एंड साइंस एक्ट, 2022 पारित किया है।
इसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर कारखानों के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रोत्साहित करना है ।
भारत ने चिंता व्यक्त की है कि यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रावधानों का उल्लंघन है। साथ ही, वैश्विक प्रतिस्पर्धी विनिर्माताओं को लाभ से वंचित करता है ।
सेमीकंडक्टर चिप्स के बारे में
ये ऐसी सामग्रियां हैं, जो किसी इन्सुलेटर से अधिक लेकिन विशुद्ध कंडक्टर से कम विद्युत धारा प्रवाहित करती हैं।
सेमीकंडक्टर उद्योग के मामले में शीर्ष 4 देश हैं- अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ताइवान और चीन ।
सेमीकंडक्टर उद्योग की मांग बढ़ाने वाले कारकः
क्लाउड कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) उपकरण तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की महत्ता और उपयोग में वृद्धि हो रही है;
कनेक्टिविटी, डेटा सेंटर, संचार, ऑटोमोटिव और उन्नत सॉफ्टवेयर का विकास हुआ है आदि ।
सेमीकंडक्टर विनिर्माण में आने वाली चुनौतियां:
चिप विनिर्माण की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है, बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता पड़ती है, कुशल कार्यबल की कमी है आदि ।
भारत द्वारा आरंभ की गई प्रमुख पहलें :
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत की गई है।
सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले बोर्ड विनिर्माण के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू की गई है।
डिजाइन लिंक्ड इनिशिएटिव (DLI) योजना के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है।
चिप्स टू स्टार्ट-अप (C2S) कार्यक्रम की घोषणा की गई है।
स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड