सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व के पक्षी
हाल ही में प्रकाशित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के अनुसार, भारतीय सुंदरबन, जो विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वन का हिस्सा है, पक्षियों की 428 प्रजातियों का आवास स्थल है। जेएसआई द्वारा प्रकाशित “बर्ड्स ऑफ द सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व”न केवल सुंदरबन में पाए जाने वाले सभी पक्षियों से संबंधित दस्तावेज है, बल्कि यह क्षेत्र की सभी प्रजातियों के विस्तृत वितरण और स्थानीयता डेटा के साथ व्यापक ‘फोटोग्राफिक फील्ड गाइड’ के रूप में भी कार्य करता है। इसका उद्देश्य पक्षियों से संबंधित जानकारी को लोगों तक पहुँचाना है।
- सर्वे के अनुसार सुंदरबन में पक्षियों की कुल 428 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसमें से कुछ प्रजातियाँ, जैसे कि ‘मास्कड फिनफुट’ और ‘बफी फिश आउल’केवल सुंदरबन में ही रिकॉर्ड किये गए हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में ऑस्प्रे, ब्राह्मिनी चील, श्वेत पेट वाली समुद्री बाज वार्बलर्स और किंगफिशरप्रमुख पक्षी हैं।
- यह क्षेत्र देश में पाए जाने वाले किंगफिशर की 12 में से 9 प्रजातियों का आवास स्थल है, जैसे- गोलियत बगुला और स्पून- बिल्ड सैंडपाइपर।
- भारत में पक्षियों की लगभग 1,300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें से लगभग 428 प्रजातियाँ सुंदरबन की हैं, इसका आशय है कि देश के लगभग एक तिहाई पक्षी सुंदरबन में पाए जाते हैं।
- ज्वारीय गतिविधियों के दौरान यहाँ जमा होने वाले मडफ्लैट्स (सूक्ष्मजीवों से समृद्ध) प्रवासी पक्षियों के लिये आदर्श भोजन हैं।
- सुंदरबन में पक्षियों की स्थिति से संबंधित यह प्रकाशन सुंदरवन के पारिस्थितिकी पहलू को उजागर करता है और इस क्षेत्र का विस्तृत विवरण भी प्रदान करता है।
सुंदरबन:
- सुंदरबन, भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में 4,200 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ एक दलदलीय वन क्षेत्र है। इसे सुंदरबन नाम इस क्षेत्र में पाए जाने वाले सुंदरी वनों के कारण मिला है।
- भारत में यह पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना ज़िले के लगभग 19 विकासखंडों में फैला हुआ है।
- देश के सभी मैंग्रोव वनों का 60%हिस्सा केवल सुंदरबन में पाया जाता है जो कि सर्वाधिक विविधता युक्त प्राकृतिक भूदृश्य है।
- भारतीय सुंदरबन यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल का हिस्सा हैं और यह रामसर स्थल के रूप में भी नामित हैं।
- इसका 2,585 वर्ग किमी क्षेत्र सुंदरबन टाइगर रिज़र्व के अंतर्गत आता है, जिसमें लगभग 96 रॉयल बंगाल टाइगर (2020 में अंतिम जनगणना के अनुसार) पाए जाते हैं।
यहाँ पाए जाने वाले रॉयल बंगाल टाइगरयहाँ के जलीय परिस्थियों के अनुकूल हो गए हैं और ये टाइगर तैर भी सकते हैं।
Source – The Hindu