सीमित दायित्‍व भागीदारी

सीमित दायित्‍व भागीदारी 

 

सीमित दायित्‍व भागीदारी अधिनियम, 2008 अंतर्गत आपराधिक दायित्व संबंधी एक प्रावधान को रद्द करने के साथ-साथ 12 अपराधों को गैर-अपराध घोषित करने की योजना बनाई जा रही है।

सीमित दायित्‍व भागीदारी क्या है?

  • देश में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के कई तरीके हैं। इनमें से ही एक है:सीमित दायित्‍व भागीदारीफर्म। इस तरह की फर्म के नाम के अंत मेंसीमित दायित्‍व भागीदारीलिखा रहता है।
  • कंपनी के रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया बहुत आसान है और इसमें खर्च भी बहुत कम आता है।
  • सीमित दायित्‍व भागीदारी एक अलग कानूनी इकाई है। यह व्यक्तिगत पार्टनर से अलग है।
  • कंपनी के रजिस्ट्रेशन के एग्रीमेंट के हिसाब से हर पार्टनर की जिम्मेदारी सीमित है। इसकी वजह यह है कि नियमित पार्टनरशिपफर्म में असीमित जिम्मेदारी होती है, जबकि इसमें शेयर होल्डिंग के हिसाब से ही जिम्मेदारी होती है।
  • सीमित दायित्‍व भागीदारी के तहत रजिस्टर की जाने वाली कंपनी पर सरकार के कुछ प्रतिबंध लागू होते हैं। इसके साथ ही कंप्लायंस संबंधी कुछ मसले भी हैं। यह आम पार्टनरशिप फर्म की तुलना में अधिक कड़े हैं।

सीमित दायित्‍व भागीदारी बनाम पारंपरिक भागीदारी फर्म:

  • “पारंपरिक भागीदारी फर्म”के तहत प्रत्येक भागीदार अन्य सभी भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से तथा व्यक्तिगत रूप से फर्म के सभी कार्यों के लिये उत्तरदायी होता है।
  • सीमित दायित्‍व भागीदारी संरचना के तहत भागीदार की जवाबदेहिता उसके द्वारा स्वीकृत योगदान तक सीमित है। इस प्रकार प्रत्येक भागीदार व्यक्तिगत रूप से अन्य भागीदारों के गलत कृत्यों या दुराचार के मामले में संयुक्त जवाबदेहिता से परिरक्षित हैं।

कंपनी बनामसीमित दायित्‍व भागीदारी:

  • किसी कंपनी की आंतरिक प्रशासनिक संरचना को कानून (कंपनी अधिनियम, 2013) द्वारा विनियमित किया जाता है, जबकि सीमित दायित्‍व भागीदारी में आतंरिक प्रशासन भागीदारों के बीच एक संविदात्मक समझौते द्वारा तय होता है।
  • सीमित दायित्‍व भागीदारीमें कंपनी की तरहप्रबंधन-स्वामित्व का विभाजन नहीं होता है।
  • सीमित दायित्‍व भागीदारीमें तुलनात्मक रूप से कंपनी से अधिकलचीलापन होता है।
  • कंपनी की तुलना में सीमित दायित्‍व भागीदारीके लिये अनुपालन आवश्यकताएँ कम होती हैं।

स्रोत – द हिन्दू

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