प्रश्न – सीएजी की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संविधान में वर्णित प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बताएं कि वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही के लिए सीएजी की भूमिका महत्वपूर्ण है। – 20 December 2021
उत्तर – संसदीय लोकतंत्र में, कार्यपालिका विधायिका का एक हिस्सा होती है और अपने कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। वित्तीय जवाबदेही इस जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसे सुनिश्चित करने के लिए भारत के संविधान (अनुच्छेद 148) में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के लिए एक स्वतंत्र कार्यालय का प्रावधान किया गया है।
CAG सार्वजनिक धन का संरक्षक है और केंद्र के साथ-साथ राज्यों की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली का ऑडिट करता है। इसका कर्तव्य वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में भारत के संविधान और संसद के कानूनों को बनाए रखना है।
वित्तीय उत्तरदायित्व और CAG
- लोक लेखा समिति संसद की सबसे महत्वपूर्ण स्थायी समितियों में से एक है। समिति का कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के वार्षिक लेखा परीक्षण रिपोर्टों की जांच करना है।
- CAG राष्ट्रपति के समक्ष तीन प्रकार का लेखा परीक्षण/ऑडिट प्रस्तुत करता है- विनियोग खातों पर ऑडिट रिपोर्ट, वित्त खातों पर ऑडिट रिपोर्ट और सार्वजनिक उपक्रमों पर ऑडिट रिपोर्ट।
- लोक लेखा समिति तकनीकी अनियमितताओं को प्रकट करने के लिए सार्वजनिक व्यय की जांच न केवल विधिक एवं औपचारिक दृष्टिकोण से करती है बल्कि अर्थव्यवस्था,विवेक,तर्कसंगतता एवं प्राधिकार की दृष्टि से भी करता है ताकि अपव्यय, हानि, भ्रष्टाचार, अक्षमता और निरर्थक व्ययों के मामलो को सामने लाया जा सके।
- अपने कार्यों की पूर्ति में, समिति CAG द्वारा सहायता प्राप्त करती है। वास्तव में, CAG समिति के लिए एक मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक के रूप में कार्य करता है।
- CAG की भूमिका भारत के संविधान और वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद के कानून को बनाए रखना है। वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में संसद के प्रति कार्यपालिका (अर्थात मंत्रिपरिषद) की जवाबदेही CAG की ऑडिट रिपोर्ट के माध्यम से सुरक्षित है।
संविधान ने CAG की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने और उसकी रक्षा के लिए निम्नलिखित प्रावधान किये हैं:
- कार्यकाल की सुरक्षा: इन्हें राष्ट्रपति द्वारा केवल संविधान में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार हटाया जा सकता है। इस प्रकार, वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण नहीं करता, हालांकि वह राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त अवश्य किया जाता है।
- वह अपना पद छोड़ने के बाद वह भारत सरकार या राज्य सरकार का कोई अन्य पद, ग्रहण नहीं कर सकता।
- इनका वेतन और अन्य सेवा शर्ते संसद द्वारा निर्धारित होती हैं। वेतन सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश के बराबर होता है।
- CAG के वेतन और छुट्टी, पेंशन या निवृत्ति की आयु के सम्बन्ध में इसके अधिकारों में उसकी नियुक्ति के पश्चात कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किये जा सकते हैं।
- भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग में सेवारत व्यक्तियों की सेवा शर्ते और CAG की प्रशासनिक शक्तियों का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा CAG के साथ परामर्श के बाद निर्धारित की जाती हैं।
- कार्यालय में कार्यरत सभी व्यक्तियों के वेतन, भत्ते और पेंशन सहित CAG कार्यालय के प्रशासनिक व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। अतः इन पर संसद में मतदान नहीं कराया जा सकता।