सिविल सेवकों की कार्य-निर्वाह क्षमता के आकलन के लिए लोकाचार, नीतिशास्त्र, समता और दक्षता प्रमुख मापदंड हैं, विश्लेषण कीजिए।

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Question – सिविल सेवकों की कार्य-निर्वाह क्षमता के आकलन के लिए लोकाचार, नीतिशास्त्र, समता और दक्षता प्रमुख मापदंड हैं, विश्लेषण कीजिए। – 4 April

उत्तर:

कार्यनिर्वाह-क्षमताएं किसी कर्मचारी में अंतर्निहित विशेषताओं जैसे- अभिप्रेरणा, गुण, कौशल, व्यक्ति की सामाजिक छवि के पहलू, सामाजिक भूमिका या ज्ञान संचय का समुच्चय है, जिसके परिणामस्वरूप नौकरी या उनकी भूमिका में प्रभावी और उत्कृष्ट प्रदर्शन हो सकता है। निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर सिविल सेवक की कार्यनिर्वाह-क्षमताओं का विश्लेषण किया जा सकता है:

लोकाचार अर्थात् नैतिक मान्यताओं, दृष्टिकोणों, आदतों आदि का समूह जो किसी व्यक्ति, समूह या संस्था की विशिष्टताओं को प्रकट करता है। यह निम्नलिखित रीति से सिविल सेवकों की कार्यनिर्वाह-क्षमता का आकलन करता है:

  • सर्वप्रथम जनता: एक कार्यनिर्वाह-सक्षम सिविल सेवक में समाज में हाशिए पर स्थित लोगों और वंचित वर्गों की विशेषदेखभाल के साथ जन-सामान्य की सेवा करने का उत्साह होता है।
  • रणनीतिक सोच: गत्यात्मक आंतरिक और बाह्य परिवेश को समझने और समाज की बेहतरी के लिए अवसरों व चुनौतियोंके प्रति अनुक्रिया करने की क्षमता।
  • संगठनात्मक जागरूकता: संगठन के अधिदेश, संरचना, नीतियां, प्रक्रियाएं, मानदंड और अन्य संगठनों के साथ उसकीअंतक्रिया को समझना।
  • टीम का नेतृत्व करना: टीम को श्रेष्ठ बनाने हेतु उन्हें संलग्न, सक्रिय और सक्षम करने की क्षमता।

नीतिशास्त्र अर्थात् नैतिक सिद्धांतों से संबंधित, जो अच्छे और बुरे आचरण के बीच अंतर करके मानव व्यवहार का मार्गदर्शन करता है।

  • सत्यनिष्ठा: एक सक्षम सिविल सेवक नियमित रूप से एक खुली, निष्पक्ष और पारदर्शी रीति से व्यवहार करता है, व्यक्ति की प्रतिबद्धताओं का सम्मान करता है तथा लोक सेवा के मूल्यों को बनाए रखने के लिए कार्य करता है।
  • पारदर्शिता: तथ्यों को विकृत किए बिना लिए गए निर्णयों के कारणों पर स्पष्ट संवाद बनाए रखता है।
  • जवाबदेही: प्रदर्शन के मुद्दों का निष्पक्ष और त्वरित रूप से समाधान करते समय परिणामों (सफलताएं या विफलताएं) काउत्तरदायित्व ग्रहण करता है। समता अर्थात् सभी हितधारकों के प्रति निष्पक्ष और पक्षपातरहित होने का गुण।
  • परामर्श और सर्वसम्मति का निर्माण: सक्षम सिविल सेवकों को औपचारिक और अनौपचारिक साधनों के माध्यम से हितधारकों एवं प्रभावकर्ताओं की पहचान करनी चाहिए तथा उनके विचारों व सरोकारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्हें संवाद, अनुनय, विविध विचारों/रुचियों के सामंजस्य और विश्वास-जन्य संबंधों के माध्यम से सर्वसम्मति का निर्माण करना चाहिए।
  • निर्णय-निर्माण: प्रासंगिक तथ्यों, कार्यों, लक्ष्यों, बाधाओं, जोखिम और परस्पर विरोधी दृष्टिकोणों को ध्यान में रखकर समयबद्ध निर्णय लेना।
  • समानुभूति: समानुभूति अन्य लोगों के विचारों, भावनाओं और सरोकारों, यहां तक कि जब वे सही ढंग से व्यक्त न भी कियेगए हो, तब भी इन्हें उचित ढंग से सुनने और समझने में सक्षम होना है।
  • परिणाम उन्मुख : सक्षम सिविल सेवक में लक्ष्य प्राप्त करने और उत्कृष्टता के मानदंड से प्रतिस्पर्धा करने की उच्च कर्मशक्तिहोनी चाहिए।
  • नियोजन और समन्वयः उसमें समय, धन और लोगों जैसे संसाधनों के प्रभावी उपयोग के साथ योजना बनाने, संगठितकरने और कार्य की निगरानी करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • नवोन्मेषी सोच: उसे परिवर्तन के प्रति खुलापन प्रकट करने वाला, मुद्दों का भिन्न तरीके से समाधान करने वाला,वैकल्पिकलीक से हटकर समाधान प्रस्तुत करने वाला और स्मार्ट तरीके से कार्य करते हुए दक्षतापूर्ण उद्यम करने वाला होना चाहिए।
  • समस्या समाधान: उसे परिस्थिति को खंडों में विभाजित कर उसे समझना चाहिए, सूचना को व्यवस्थित रूप से संग्रहित करना चाहिए और प्राथमिकताएं निर्धारित करना चाहिए।

संचार कौशल: उसे ऐसी भाषा में दूसरों को जानकारी प्रदान करना चाहिए जो स्पष्ट, संक्षिप्त और समझने में सरल हो।

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