सिलिकॉन वैली बैंक संकट से भारतीय बैंकों के प्रभावित होने की संभावना नहीं
हाल ही में अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) और सिग्नेचर बैंक के डूबने से पूरे विश्व में बैंकों में जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।
SVB के डूबने के निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं-
- रन ऑन द बैंक : यह वह स्थिति है, जब बड़ी संख्या में ग्राहक बैंक में जमा धनराशि निकालने लगते हैं ।
- निवेश में विविधता की कमी: SVB ने अपना अधिकतर निवेश बॉण्ड और ट्रेजरी में किया था।
- प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट का भी प्रभाव पड़ा था ।
- सिग्नेचर बैंक के डूबने के कारण बहुत हद तक SVB के डूबने के कारकों के समान ही है। इसके विफल होने के कुछ अन्य कारणों में बड़ी मात्रा में जमा धन राशि की निकासी, क्रिप्टोकरेंसी केंद्रित व्यवसाय आदि हैं ।
- भारतीय बैंकिंग प्रणाली में उपर्युक्त कारणों से बैंकों के डूबने की संभावना कम है।
इसके निम्नलिखित कारण हैं:
- भारतीय रिज़र्व बैंक ने SBI, ICICI और HDFC जैसे प्रमुख बैंकों को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (D- SIBe) के रूप में वर्गीकृत किया है।
- यह वर्गीकरण प्रणालीगत महत्त्व स्कोर (Systemic Importance Scores : SIS) पर आधारित है।
- D-SIBs को अपने परिचालनों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पूंजी की व्यवस्था और प्रोविजनिंग करनी होती है।
- बैलेंस शीट संरचनाओं में अंतर है : भारतीय बैंकों में घरेलू बचत जमाओं का हिस्सा अधिक होता है।
- वहीं अमेरिकी बैंकों में अधिकतर जमाराशि बड़े कॉरपोरेट घरानों की होती है।
- भारत में अधिकांश राशि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में या निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों में जमा हैं।
बैंकों को बचाने के लिए सरकार और RBI द्वारा उठाए गए कदमों के पिछले अनुभवों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- वर्ष 2020 में यस बैंक को बचाया गया था,
- वर्ष 2008 में ICICI बैंक में ‘रन ऑन द बैंक की स्थिति को लेकर वित्तीय बाजारों को स्थिर करने के लिए सुरक्षा आश्वासन जारी किया गया था आदि ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस