सिंधु जल संधि की संचालन समिति की बैठक संपन्न
हाल ही में सिंधु जल संधि (IWT) की संचालन समिति की बैठक में संशोधन प्रक्रिया का आकलन किया गया है।
- भारत ने संचालन समिति की छठी बैठक में किशनगंगा परियोजना और रतले जलविद्युत परियोजना पर जारी तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाहियों पर चर्चा की है।
- किशनगंगा परियोजना झेलम की सहायक नदी किशनगंगा पर तथा रतले जलविद्युत परियोजना चिनाब नदी पर है। ये दोनों परियोजनाएं जम्मू और कश्मीर में स्थित हैं।
- जनवरी 2023 में, भारत ने उपर्युक्त दोनों जलविद्युत परियोजनाओं पर विवादों को हल करने में पाकिस्तान द्वारा नियमों का अनुपालन नहीं करने का हवाला देते हुए उसे नोटिस जारी किया था ।
- वर्ष 2015 में, विश्व बैंक ने पाकिस्तान के अनुरोध पर किशनगंगा और रतले जलविद्युत संयंत्रों के निर्माण पर एक “तटस्थ विशेषज्ञ” और मध्यस्थता न्यायालय (Court of Arbitration: CoA) के अध्यक्ष को नियुक्त किया था।
- भारत ने दलील दी थी कि CoA के लिए पाकिस्तान के अनुरोध ने संधि में विवाद समाधान के श्रेणीबद्ध तंत्र का उल्लंघन किया है।
- IWT के अनुच्छेद IX के तहत प्रदान किया गया विवाद निवारण तंत्र एक श्रेणीबद्ध तंत्र है। यह एक 3 – स्तरीय प्रणाली है।
- IWT पर भारत और पाकिस्तान ने 1960 में हस्ताक्षर किए थे। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता से संपन्न हुई थी ।
- यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल के उपयोग पर दोनों देशों के अधिकारों और दायित्वों का निर्धारण करती है ।
- इसके तहत पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम व चेनाब ) पाकिस्तान को और पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास एवं सतलज) भारत को आवंटित की गई हैं।
स्रोत – द प्रिंट