सार्स कोव 2 के विरुद्ध नैनोबॉडी की पहचान

सार्स कोव 2 के विरुद्ध नैनोबॉडी की पहचान

  • बॉन विश्वविद्यालय (जर्मनी) के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने सार्स कोव 2 (SARS-CoV-2) वायरस के विरुद्ध नोवेल एंटीबॉडी फ्रेगमेंट (नैनोबॉडी) की पहचान की है।
  • ज्ञात हो की सार्स कोव 2 कोरोना वायरस के कारक का एक वाइरस है।

सार्स कोव 2 के विरुद्ध नैनोबॉडी:

  • एक अल्पाका (Alpaca) और एक लामा (llama) में कोरोना वायरस के सतही प्रोटीन के इंजेक्शन से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा न सिर्फ वायरस पर लक्षित एक एंटीबॉडी का उत्पादन किया गया, बल्कि यह एक सरल एंटीबॉडी संस्करण भी है जो नैनोबॉडी के आधार के रूप में कार्य कर सकती है।
  • उन्होंने नैनोबॉडीज़ को संभावित रूप से प्रभावी अणुओं में भी संयोजित किया था, जो वायरस के विभिन्न हिस्सों पर एक साथ हमला करते हैं। यह प्रक्रिया रोगाणुओं को उत्परिवर्तन के माध्यम से एंटीबॉडी का प्रभाव उत्पन्न करने से रोक सकने में मददगार होगी।
  • नैनोबॉडीज़, वायरस द्वारा अपनी लक्षित कोशिका का सामना करने से पहले एक संरचनात्मक परिवर्तन का रूप लेती है जो किसी कार्य का अप्रत्याशित और नोवेल प्रकार है। संरचनात्मक परिवर्तन के स्थिर रहने की संभावना होती है।इसलिये इस अवस्था में वायरस कोशिकाओं को पोषित कर उन्हें संक्रमित करने में सक्षम नहीं रहता है।

एंटीबॉडी:

  • एंटीबॉडी संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  • ये बैक्टीरिया या वायरस की सतह पर संरचनाओं से बँध जाते हैं और उनकी प्रतिकृति बनने से रोकते हैं।
  • यही कारण है कि किसी भी बीमारी के विरुद्ध लड़ाई में महत्त्वपूर्ण कदम बड़ी मात्रा में प्रभावी एंटीबॉडी का उत्पादन और उन्हें रोगियों में इंजेक्ट करना होता है।
  • हालाँकि एंटीबॉडी का उत्पादन करना प्रायः मुश्किल और अपेक्षाकृत लंबी अवधि की प्रकिया है; इसलिये इसे व्यापक उपयोग के लिये उपयुक्त नहीं माना जाता है।

नैनोबॉडीज़:

  • नैनोबॉडीज़, एंटीबॉडी के वे टुकड़े होते हैं, जो इतने सरल होते हैं कि उन्हें बैक्टीरिया या खमीर (Yeast) द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है, यह कार्य अपेक्षाकृत कम खर्चीला होता है।
  • नैनोबॉडीज़ एक प्रकार के एकल डोमेन एंटीबॉडीज़ होते हैं, जिन्हें VHH एंटीबाडीज़ के नाम से भी जाता है।
  • इन्हें प्रायः पारंपरिक एंटीबॉडी के विकल्प के रूप में देखा जाता है और ये उत्पादन तथा उपयोग दोनों मामलों में एंटीबॉडी से अलग होते हैं, जो कि उनकी उपयुक्तता को प्रभावित करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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