सार्वजनिक खरीद और परियोजना प्रबंधन में सुधार के लिए दिशा-निर्देश जारी
हाल ही में सार्वजनिक खरीद और परियोजना प्रबंधन में सुधार के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए ।
ये दिशा-निर्देश परियोजनाओं के तीव्र, कुशल और पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए नवीन नियमों को शामिल करने का प्रयास करते हैं। साथ ही, जनहित में त्वरित औरअधिक कुशल निर्णय लेने के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों को सशक्त बनाने का भी प्रयत्न करते हैं।
- इन दिशा-निर्देशों का मसौदा केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के तत्वावधान में तैयार किया गया है।
- सार्वजनिक खरीद सरकारों और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को निजी क्षेत्र से वस्तुएं और सेवाएं खरीदने की अनुमति प्रदान करते है।
- CVC विश्लेषण में सार्वजनिक खरीद में त्रुटिपूर्ण टेंडरिंग, व्यवसायी गठजोड़, कपटपूर्ण बोली-प्रक्रिया, नौकरशाही की समस्या, अत्यंत सस्ती कीमतों के माध्यम सेफर्मों के प्रभुत्व आदि के उदाहरण पाए गए हैं।
- कुप्रबंधन की प्रवृति का निवारण आवश्यक है, क्योंकि सार्वजनिक खरीद का हिस्सा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 20% से 30% के मध्य होने का अनुमान है।
दिशा-निर्देशों से संबंधित तथ्य
- ठेकेदारों के चयन के लिए वैकल्पिक तरीकों की अनुमति दी गई है, जिनकी सहायता से परियोजनाओं के निष्पादन की गति और दक्षता में सुधार संभव है।
- ठेकेदारों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए नकदी की उपलब्धता में सुधार करने हेतु तदर्थ भुगतान (तैयार बिलों का 70 प्रतिशत या अधिक) को समय पर जारी किया जाएगा।
- कार्यों की प्रगति को रिकॉर्ड करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माप पुस्तकों को प्रस्तावित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त, वस्तुओं और गैर-परामर्शी सेवाओं की खरीद हेतु टेंडर दस्तावेजों की संरचना को युक्तिसंगत व सरल बनाने के लिए मॉडल टेंडर दस्तावेज जारी किए जाएंगे।
स्रोत – द हिन्दू