हजीरा बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण-III यात्रा लॉन्च
हाल ही में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने गुजरात के सूरत के हजीरा बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण-III यात्रा को लॉन्च किया।
सागर परिक्रमा कार्यक्रम सभी तटीय राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया जाएगा।
सागर परिक्रमा–
- सागर परिक्रमा यात्रा की शुरुआत 05 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात (श्यामजी कृष्ण वर्मा का स्मारक) से ओखा-द्वारका तक चरण-1 के रूप में “क्रांति से शांति” वाली थीम के साथ शुरू की गई और 06 मार्च 2022 को पोरबंदर में तीन स्थानों को शामिल करते हुए संपन्न हुई।
- इस यात्रा का दूसरा चरण 23 से 25 सितंबर 2022 तक जारी रहा।
- सागर परिक्रमा का तीसरा चरण, सागर परिक्रमा के पहले ( मार्च 2022 ) और दूसरे चरण (सितंबर, 2022 ) का क्रमिक विस्तार है ।
मुख्य बिंदु –
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि (Aquaculture) वाला देश है। दोनों ही मामलों में पहले स्थान पर चीन है।
- भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा मत्स्य निर्यातक देश है। वैश्विक मछली उत्पादन में भारत 7% का योगदान देता है।
- मत्स्यन क्षेत्रक को सनराइज सेक्टर के रूप में मान्यता दी गई है।
- यह क्षेत्रक लगभग 280 लाख लोगों को प्राथमिक स्तर पर और इसकी संपूर्ण मूल्य-श्रृंखला में लगभग इससे दोगुनी संख्या में आजीविका सहायता प्रदान करता है ।
मत्स्यन क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलें–
- नीली क्रांति मुख्य रूप से जलीय कृषि और मत्स्य संसाधनों से मत्स्य उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने पर केंद्रित है। इसमें अंतर्देशीय और समुद्री, दोनों स्रोत शामिल हैं ।
- वर्ष 2015 में मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF ) स्थापित की गई थी ।
- वर्ष 2020 से प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) चलाई जा रही है।
- मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड योजना (2018-19) का लाभ दिया जा रहा है।
सागर परिक्रमा का उद्देश्य–
- मत्स्य पालन से संबंधित अलग-अलग योजनाओं की जानकारी का प्रसार करने के लिए मछुआरों, तटीय समुदायों और हितधारकों के साथ संवाद को सुगम बनाना ।
- आत्मनिर्भर भारत की भावना के साथ सभी मछुआरों, मत्स्य कृषकों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना ।
- राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका के मध्य संधारणीय संतुलन पर ध्यान देने के साथ जिम्मेदार मत्स्य पालन को बढ़ावा देना । समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना ।
स्रोत – पी.आई.बी.