सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति का मसौदा जारी किया

सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति का मसौदा जारी किया

हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) ने “सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति’ का मसौदा जारी किया है।

उपर्युक्त मसौदा नीति का उद्देश्य भारत के बढ़ते समुद्री क्षेत्रक के भविष्य के सह-निर्माण के लिए स्टार्ट-अप और अन्य संस्थाओं का पोषण करना है ।

भारत के समुद्री क्षेत्रक का आकार बहुत बड़ा है। इसमें 12 महापत्तन और 200 से अधिक छोटे पत्तन शामिल हैं।

मात्रा के हिसाब से देश के व्यापार का लगभग 95 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से लगभग 65 प्रतिशत समुद्री परिवहन के माध्यम से संपन्न होता है ।

भारत में समुद्री क्षेत्रक स्टार्ट-अप्स के उदय के समक्ष चुनौतियां

  • स्टार्ट-अप्स के लिए समुद्री क्षेत्रक – विशिष्ट प्रणाली और उद्योग के बीच समन्वय का अभाव है।
  • सामान्य रूप से उपलब्ध सॉफ्टवेयर या ऐप आधारित स्टार्ट-अप्स की तुलना में समुद्री स्टार्ट–अप्स अक्सर हार्डवेयर स्टार्ट-अप्स होते हैं। ऐसे में समय के साथ इन्हें बहुत अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है ।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) विनियम, हरित पत्तन, पर्यावरण, सुरक्षा और संरक्षा सहित कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय विनियामक आवश्यकताओं का अनुपालन भी करना होता है।

मसौदा नीति की मुख्य विशेषताएं

  • समुद्री नवाचार केंद्र (MIH ): यह इनक्यूबेटर और एक्सीलरेटर के साथ-साथ केंद्रीकृत रिपॉजिटरी भी विकसित करेगा, निवेश को आकर्षित करेगा आदि ।
  • शीर्ष समिति: यह कार्यक्रम को समग्र मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ-साथ अनुमोदित भी करेगी । इसके अतिरिक्त, यह अलग-अलग संस्थानों / संगठनों के MIHs द्वारा की गई प्रगति की निगरानी और समय-समय पर उसकी समीक्षा भी करेगी ।
  • इन्क्यूबेटर्स: ये शुरुआती चरण में स्टार्ट-अप्स का समर्थन करेंगे।
  • सीड फंड स्कीम यह सुविधा उन चुनिंदा स्टार्ट-अप्स के लिए उपलब्ध होगी, जो इनक्यूबेटर्स / एक्सीलरेटर्स का हिस्सा हैं।

समुद्री क्षेत्रक में स्टार्ट-अप्स की जरूरत क्यों है?

  • समुद्री क्षेत्रक उद्योग के विकार्बनीकरण और हरित पत्तन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए ।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए समुद्री क्षेत्रक में प्रक्रियाओं को अनुकूल बनाने, दक्षता में सुधार लाने तथा लाभप्रद गतिविधियों का विस्तार करने के लिए ।
  • समुद्री साइबर सुरक्षा में वृद्धि करने के लिए,
  • स्मार्ट संचार का विकास करने के लिए, समुद्री इलेक्ट्रॉनिक्स को अत्याधुनिक बनाने के लिए आदि ।

स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड

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