सरोजिनी नायडू की जयंती और राष्ट्रीय महिला दिवस
13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, इसके साथ ही इसी दिन सरोजिनी नायडू की जयंती भी मनाई जाती है।
- विदित हो कि भारत में सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। सरोजिनी नायडू को भारतीय कोकिला (द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) के नाम से जाना जाता था।
सरोजिनी नायडू:
- उनका जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद, भारत में हुआ था। यह एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता, कवि और राजनीतिज्ञ थीं।
- ब्रिटिश सरकार ने भारत में प्लेग महामारी के दौरान उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिये सरोजिनी नायडू को ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक से सम्मानित किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान:
- वर्ष 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गईं।
- सरोजिनी नायडू को वर्ष 1925 (कानपुर सत्र) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया था और वर्ष 1928 तक वे इस पद पर बनी रहीं।
- वर्ष 1930 में भारत में नमक उत्पादन पर ब्रिटिश एकाधिकार के खिलाफ अहिंसक विरोध, नमक सत्याग्रह का नेतृत्त्व करने के लिये गांधी ने नायडू का चयन किया था।
- वर्ष 1942 में सरोजिनी नायडू को “भारत छोड़ो” आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया और गांधीजी के साथ 21 महीने के लिये जेल में डाल दिया गया।
- उन्होंने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का प्रतिनिधित्त्व किया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात की।
एक राजनेता के रूप में योगदान:
- भारतीय-ब्रिटिश सहयोग (1931) हेतु गोलमेज़ सम्मेलन के अनिर्णायक दूसरे सत्र के लिये वह गांधीजी के साथ लंदन गई थीं।
- भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद नायडू को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया, जो भारत में राज्यपाल का पद संभालने वाली पहली महिला बनीं।
प्रसिद्ध कवयित्री:
- नायडू एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं और उन्होंने अंग्रेज़ी तथा उर्दू दोनों में रचनाएँ कीं। वर्ष 1912 में प्रकाशित ‘इन द बज़ार्स ऑफ हैदराबाद’’ उनकी सबसे लोकप्रिय कविताओं में से एक है।
- उनके अन्य कार्यों में “द गोल्डन थ्रेशोल्ड (1905)”, “द बर्ड ऑफ टाइम (1912)” और “द ब्रोकन विंग (1912)” शामिल हैं।
स्रोत – इकोनोमिक्स टाइम्स