सरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2020 पारित
हाल ही में राज्यसभा ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2020 पारित किया है।
हालांकि, विधेयक को पहले लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया था, परन्तु राज्यसभा ने इसे एक प्रवर समिति को प्रेषित कर दिया था।
इस समिति ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 में 15 प्रमुख संशोधनों का सुझाव दिया था।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
- विधेयक सरोगेसी को एक ऐसे अभ्यास के रूप में परिभाषित करता है, जहां एक महिला इस मन्तव्य के साथ एक इच्छुक दंपति के लिए बच्चे को जन्म देती है कि जन्म के बाद वह (महिला) बच्चे को इच्छुक दंपति को सौंप देगी।
- विधेयक में वाणिज्यिक सरोगेसी को प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन स्वार्थहीन सरोगेसी को अनुमति प्रदान की गई है।
- देश में केवल भारतीय दंपत्ति ही सरोगेसी का विकल्प चुन सकते हैं।
- विधेयक सरोगेसी को एक ऐसे अभ्यास के रूप में परिभाषित करता है, जहां एक महिला इस मन्तव्य के साथ एक ‘इच्छुक दंपति’ के लिए बच्चे को जन्म देती है कि जन्मके बाद वह (महिला) बच्चे को इच्छुक दंपति को सौंप देगी।
- सरोगेसी की अनुमति उस स्थिति में प्रदान की जाएगी जब इच्छुक दंपत्ति, विनियमों में निर्दिष्ट किसी भी स्थिति या रोग तथा सिद्ध निःसंतानता/बंध्यता से पीड़ित हों।
- पांच वर्ष के असुरक्षित लैंगिक संबंधों के बाद गर्भ धारण करने में असमर्थता के रूप में ‘बंध्यता’ की परिभाषा को इस आधार पर हटा दिया गया है कि यह निःसंतानताके निर्धारण के लिए अत्यधिक लंबी अवधि थी।
- सरोगेसी से जन्मे बच्चे को इच्छुक दंपत्ति की जैविक संतान माना जाएगा।
- सरोगेट बच्चे के गर्भपात के लिए सरोगेट माता की लिखित सहमति और उपयुक्त प्राधिकारी के अनुमोदन की आवश्यकता का प्रावधान किया गया है।
- विधेयक के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए दंड को परिभाषित किया गया है।
स्रोत – द हिन्दू