संयुक्त राष्ट्र देश खुले समुद्र में समुद्री जीवन की रक्षा समझौते पर सहमत

संयुक्त राष्ट्र देश खुले समुद्र में समुद्री जीवन की रक्षा समझौते पर सहमत

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के सदस्य देश खुले समुद्र में समुद्री जीवन की रक्षा के लिए एक समझौते पर सहमत हुए हैं।

  • पहली बार, UN के सदस्य देश खुले समुद्र में जैव विविधता की रक्षा के लिए एक एकीकृत संधि पर सहमत हुए हैं।
  • वर्तमान संधि पर समझौता वार्ता 1982 के समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) के तहत संपन्न हुई है। UNCLOS समुद्री संसाधनों के संबंध में देशों के अधिकारों को विनियमित करता है ।
  • राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (BBNJ) पर संधि को खुले समुद्र पर संधि के नाम से भी जाना जाता है।
  • BBNJ संधि, समुद्री जीवन के संरक्षण का प्रबंधन करने के लिए एक नए निकाय का गठन करेगी। इसके अलावा, खुले समुद्रों में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPAs) की स्थापना भी करेगी।
  • यह खुले समुद्र में मत्स्यन की मात्रा, अन्वेषण गतिविधियों (जैसे- गहरे समुद्र में खनन) आदि की सीमा निर्धारित करेगी ।

संधि का महत्त्व

  • यह संधि संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता कन्वेंशन के संकल्प को प्राप्त करने में मदद करेगी। इस संकल्प के तहत 2030 तक विश्व की कम-से-कम 30 प्रतिशत भूमि और महासागरों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। इसे ’30×30 लक्ष्य प्राप्ति की संज्ञा दी गई है।
  • यह संधि खुले समुद्र में प्रस्तावित गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने के लिए देशों पर दायित्व आरोपित करती है।
  • यह संधि समस्त प्रजातियों के स्थानिक पर्यावास के समक्ष विद्यमान खतरों और संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रीय संधियों को संयोजित करती है।
  • खुले समुद्र, देशों के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की सीमा से शुरू होते हैं। किसी देश का EEZ समुद्र तट से 370 कि.मी. (200 नॉटिकल मील) दूर तक का क्षेत्र होता है ।
  • खुले समुद्र में विश्व के 60 प्रतिशत से अधिक महासागर और पृथ्वी की लगभग आधी सतह शामिल हैं।
  • वर्तमान में खुले समुद्रों का केवल 1 प्रतिशत ही संरक्षित है।
  • UNCLOS प्रादेशिक जल क्षेत्र दावों के तहत नहीं आने वाले समुद्र नितल अन्वेषण को विनियमित करने के लिए तटीय और समुद्री सीमाओं को परिभाषित करता है। इसका मुख्यालय जमैका के मोंटेगो बे में स्थित है।
  • सदस्य : भारत सहित 168 देश इस अभिसमय के पक्षकार हैं।

समुद्री सीमाओं की परिभाषा

  • प्रादेशिक सागर: यह किसी देश का संप्रभु क्षेत्र है। विदेशी असैन्य एवं सैन्य जलयानों को कुछ शर्तों के तहत प्रवेश (Innocent Passage ) की अनुमति होती है।
  • अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ): इस क्षेत्र में किसी देश को समुद्री संसाधनों को खोजने और दोहन करने, समुद्री पर्यावरण की रक्षा करने, कृत्रिम द्वीपों एवं संरचनाओं का निर्माण करने आदि का संप्रभु अधिकार होता है।
  • सन्निहित क्षेत्र : इसमें कोई देश अपने प्रशुल्क, राजकोषीय, आव्रजन या संरक्षण संबंधी कानूनों के उल्लंघन को रोकने के लिए आवश्यक नियंत्रणों को लागू कर सकता है।
  • खुला समुद्र : इसमें किसी देश के EEZ, प्रादेशिक सागर या आंतरिक जल क्षेत्र के बाहर का समुद्री क्षेत्र शामिल होता है। इस क्षेत्र पर किसी देश का कोई अनन्य अधिकार नहीं होता है।

स्रोत – द हिन्दू

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