‘समुद्रयान मिशन’ वर्ष 2026 तक पूर्ण
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, समुद्रयान मिशन के वर्ष 2026 तक पूरा किये जाने की उम्मीद है।
- मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिज संसाधनों की खोज के लिये तीन व्यक्तियों को ‘मत्स्य 6000’ नामक वाहन में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजना है।
- ‘मत्स्य 6000’ वाहन को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), चेन्नई द्वारा विकसित और डिज़ाइन किया जा रहा है।
- मानव सुरक्षा हेतु इसकी क्षमता सामान्य स्थितियों में 12 घंटे और आपात स्थिति में 96 घंटे है।
- यह भारत का पहला अनोखा मानवयुक्त समुद्रीय मिशन है जो 6000 करोड़ रुपए के डीप ओशन मिशन का हिस्सा है।
महत्त्व:
- मानवयुक्त सबमर्सिबल वैज्ञानिक कर्मियों को प्रत्यक्ष परीक्षण द्वारा गहरे समुद्र के अस्पष्टीकृत क्षेत्रों को देखने और समझने में सक्षम बनता है।
- यह केंद्र सरकार के ‘न्यू इंडिया’ कार्यक्रम के दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देगा, जो विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकॉनमी) को उजागर करता है।
- भारत के पास 7517 कि.मी. लंबी तटरेखा के साथ अपनी एक अद्वितीय समुद्री स्थिति है जिसमे नौ तटीय राज्य और 1,382 द्वीप शामिल है।
- भारत तीनों ओर से समुद्र से घिरा हुआ है तथा तटीय क्षेत्रों और तटीय प्रदेशों में रहने वाली देश की लगभग 30% आबादी, एक प्रमुख आर्थिक कारक है।
- यह मत्स्य पालन और जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और ‘ब्लू ट्रेड’ का समर्थन करता है।
डीप ओशन मिशन:
- इसे जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसका उद्देश्य संसाधनों के लिये गहरे समुद्र का अन्वेषण करना, महासागरीय संसाधनों के सतत् उपयोग के लिये गहरे समुद्र की प्रौद्योगिकियों का विकास करना और साथ ही भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था संबंधी पहलों का समर्थन करना है।
- पाँच वर्ष की अवधि वाले इस मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
स्रोत – पी.आई.बी