राज्य सभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक प्रस्तुत

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

राज्य सभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक प्रस्तुत

  • हाल ही में राज्य सभा में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code -UCC) पर गैर-सरकारी सदस्य विधेयक पेश किया गया है।
  • इस विधेयक में समान नागरिक संहिता तैयार करने तथा भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र में इसे लागू करने के लिए राष्ट्रीय निरीक्षण और जांच समिति के गठन पर विमर्श का प्रावधान किया गया है ।
  • इसका उद्देश्य अलग–अलग धर्मों के वैयक्तिक कानूनों को समाप्त करना है। ये कानून वर्तमान में विविध धार्मिक समुदायों के भीतर पारस्परिक संबंधों और संबंधित मामलों को शासित करते हैं।
  • समान नागरिक संहिता से तात्पर्य ऐसा एकल कानून बनाना है, जो भारत के सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों जैसे – विवाह, तलाक, अभिभावकत्व (Custody), गोद लेने और विरासत से जुड़े मामलों पर एक – समान रूप से लागू हो ।

समान नागरिक संहिता के पक्ष में तर्क

  • इससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा ।
  • यह वर्तमान में धार्मिक विश्वासों के आधार पर बनाए गए अलग-अलग कानूनों को सरल बनाएगी ।
  • न्यायिक निर्णयों को लागू किया जा सकेगा । वैयक्तिक कानून के कारण मोहम्मद अहमद खान बनाम शाहबानो बेगम, 1985 जैसे निर्णयों को लागू नहीं किया जा सका था ।
  • लैंगिक न्याय की अवधारणा को मजबूत करेगी, क्योंकि ज्यादातर धार्मिक या प्रथागत वैयक्तिक कानून पुरुषों के पक्षपाती हैं।

समान नागरिक संहिता के विपक्ष में तर्क

  • ‘वैयक्तिक कानून’ समवर्ती सूची का विषय है। अतः इस पर कानून बनाना संसद का अनन्य क्षेत्राधिकार नहीं है।
  • यह अनुच्छेद 25 (व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार), अनुच्छेद 29 (विशेष संस्कृति के संरक्षण का अधिकार) की भावनाओं के खिलाफ है।
  • यह देश की विविधता के खिलाफ है ।

समान नागरिक संहिता के बारे में

  • संविधान के भाग 4 (राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व)के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता की चर्चा की गई है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा’।
  • समान नागरिक संहिता में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो।
  • समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक तथा जमीन-जायदाद के बँटवारे आदि में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है।
  • अभी देश में जो स्थिति है उसमें सभी धर्मों के लिए अलग-अलग नियम हैं। संपत्ति, विवाह और तलाक के नियम हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए अलग-अलग हैं।
  • इस समय देश में कई धर्म के लोग विवाह, संपत्ति और गोद लेने आदि में अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं।
  • मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का अपना-अपना पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।

स्रोत – द हिन्दू

Download Our App

More Current Affairs

Related Articles

Youth Destination Facilities