‘सभी के लिए एक भविष्यः मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व की आवश्यकता‘ रिपोर्ट जारी
हाल ही में ,वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature -WWF) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme – UNEP) ने “सभी के लिए एक भविष्यः मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व की आवश्यकता” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की है।
मुख्य बिंदु
- वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों तथा जानवरों के बीच संघर्ष विश्व की कुछ सबसे प्रतिष्ठित प्रजातियों के दीर्घकालिक अस्तित्व के समक्ष मुख्य खतरों में से एक है।
- भारत में वर्ष 2014-2019 के दौरान 500 से अधिक हाथियों की मौत हो गई थी, जिसमें अधिकतर मौतों के लिए मानव-हाथी संघर्ष उत्तरदायी थे।
- ऐसा इसलिए है, क्योंकि भारत में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मानव आबादी के साथ-साथ बाघों,एशियाई हाथियों, एक सींग वाले गैंडों, एशियाई शेरों और अन्य प्रजातियों की भी बड़ी आबादी निवास करती है।
- रिपोर्ट के अनुसार मानव-वन्यजीव संघर्ष से भारत सर्वाधिक प्रभावित होगा।
- भारत के हाथी अपने मूल पर्यावास के केवल 3-4 प्रतिशत भूभाग तक ही सीमित हैं। इससे वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों के बाहर भोजन खोजने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससेउनका मनुष्यों के साथ संघर्ष होता है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को पूर्णतया समाप्त करना संभव नहीं है, परन्तु इसे प्रबंधित करने के लिएसुनियोजित व एकीकृत दृष्टिकोण अपनाकर संघर्षों को कम किया जा सकता है।
- रिपोर्ट ने असम के सोनितपुर जिले का उदाहरण दिया, जहां वनों के विनाश ने हाथियों को फसलों की ओर उन्मुख होने के लिए बाध्य किया। इसमें हाथियों और मनुष्यों दोनों की मृत्यु हुई है।
- इसके प्रत्युत्तर में, WWF-इंडिया ने वर्ष 2003-2004 के दौरान ‘सोनितपुर मॉडल विकसित किया था। इसके तहत हाथियों को खेतों से सुरक्षित रूप से दूर भगाने के लिए समुदाय के सदस्यों को राज्य वन विभाग के साथ कार्य करने का प्रशिक्षण दिया गया था।
स्रोत – द हिन्दू