भारत में सबमरीन केबल बिछाने के लिए लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क और विनियामक तंत्र
हाल ही में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने ‘भारत में सबमरीन केबल बिछाने के लिए लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क और विनियामक तंत्र’ से जुड़ी सिफारिशें जारी की हैं ।
इस फ्रेमवर्क के माध्यम से भारत में सबमरीन (समुद्र के नीचे) केबल लैंडिंग स्टेशन ( CLS) स्थापित करने संबंधी नियमों को आसान बनाया जा सकेगा।
अगस्त 2022 में दूरसंचार विभाग ने सबमरीन केबल (SMC) और केबल लैंडिंग स्टेशन (CLS) से संबंधित चिंताएं प्रकट की थी। साथ ही इन चिंताओं के समाधान के लिए कुछ सिफारिशें करने को भी कहा था ।
SMC समुद्र नितल पर बिछाई जाती हैं। ये देशों को डिजिटल रूप से आपस में जोड़ती हैं। साथ ही, ये स्थलीय दूरसंचार नेटवर्क को भी आपस में जोड़ती हैं।
इसके विपरीत, CLS देश में वह स्थान होता है, जहां एक सबमरीन केबल जमीन के ऊपर (CLS) आती है।
प्रमुख बिंदु:
CLS और सबमरीन केबल (SMC) के परिचालन व रखरखाव सेवाओं को आवश्यक सेवाओं तथा महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (CII) का दर्जा दिया जा सकता है।
CLS और सबमरीन:
- केबल के परिचालन व रखरखाव के लिए आवश्यक वस्तुओं एवं सामग्रियों को सीमा शुल्क तथा GST से छूट दी जानी चाहिए।
- SMC और CLS के लिए आवश्यक पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) तथा तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) संबंधी मंजूरी के लिए आवेदन भी सरल संचार पोर्टल के एक हिस्से के रूप में ऑनलाइन किया जा सकता है।
- भारत में ‘CLS’ और ‘SMC’ को बढ़ावा देने, संरक्षित करने तथा प्राथमिकता देने के लिए भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 में एक खंड शामिल किया जाना चाहिए।
- यह विधेयक दूरसंचार अवसंरचना तैयार करने के लिए राइट ऑफ वे का प्रयोग करने हेतु एक तंत्र प्रदान करता है। ‘राइट ऑफ वे’ से आशय किसी अन्य व्यक्ति/संस्था के स्वामित्व वाली वास्तविक संपत्ति में से मार्ग प्राप्त करने का अधिकार है ।
स्रोत – पी.आई.बी.