पंजाब और हरियाणा सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर मुद्दे पर
हाल ही में पंजाब और हरियाणा सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर मुद्दे पर आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहे हैं।
- SYL नहर का मुद्दा अभी तक नहीं सुलझा है। इसका कारण यह है कि दोनों राज्य रावी और ब्यास नदियों के जल बंटवारे को लेकर किसी भी समझौते पर पहुंचने में विफल रहे हैं।
- SYL हरियाणा और पंजाब के बीच रावी और ब्यास नदियों के जल को साझा करने के लिए परिकल्पित 214 किलोमीटर लंबी नहर है।
- SYL नहर का 122 किलोमीटर हिस्सा पंजाब में और 92 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में निर्मित होना तय हुआ था ।
- इस नहर को बनाने की योजना पंजाब से हरियाणा के अलग होने के बाद वर्ष 1966 में बनाई गई थी ।
- हरियाणा ने वर्ष 1980 में SYL नहर के अपने हिस्से का निर्माण कार्य पूरा कर लिया था। इसके विपरीत, पंजाब रिपेरियन सिद्धांतों (Riparian Principles) और जल की अनुपलब्धता का हवाला देकर इसे टालता रहा है।
- रिपेरियन सिद्धांत के अनुसार किसी जल निकाय से सटी भूमि के स्वामी को ही उस निकाय के जल के उपयोग का अधिकार है।
- पंजाब का यह भी तर्क है कि भू-जल के अत्यधिक दोहन के कारण वर्ष 2029 के बाद राज्य के कई क्षेत्र सूखे के प्रभाव में आ सकते हैं।
- हरियाणा ने तर्क दिया है कि उसके दक्षिणी हिस्से को भू-जल स्तर में गिरावट के कारण जल की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
- उसका यह भी कहना है कि एराडी ट्रिब्यूनल, 1987 द्वारा किए गए आकलन के बाद भी हरियाणा राज्य को जल में उसके उचित हिस्से से वंचित किया गया है।
जल से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- राज्य सूची की प्रविष्टि 17: जल आपूर्ति, सिंचाई और नहरें, जल निकासी आदि से संबंधित है।
- संघ सूची की प्रविष्टि 56 : अंतर्राज्यीय नदियों और नदी घाटियों का विनियमन तथा विकास से संबंधित है।
- अनुच्छेद 262: अंतर्राज्यीय नदियों के जल से संबंधित विवादों के न्याय निर्णयन से संबंधित है।
- संसद ने अनुच्छेद 262 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 बनाया है।
स्रोत – द हिन्दू