भारत में सड़क दुर्घटनाओं पर बॉश (Bosch ) संस्था का अध्ययन
भारत में सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक हिस्सेदारी यात्री कारों से होने वाली दुर्घटनाओं की है।
उपर्युक्त निष्कर्ष बॉश (Bosch ) के एक अध्ययन का हिस्सा है। ये निष्कर्ष संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान जारी किए गए थे। इसका आयोजन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) करता है। साथ ही, इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि
विश्व में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। भारत में सड़क पर पैदल चलने वालों को 99 प्रतिशत चोट लगने की संभावना रहती है ।
सड़क दुर्घटनाओं के कारण लगने वाली चोटें विश्व भर में मौत और दिव्यांगता का एक प्रमुख कारण हैं। हर साल सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.3 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है और लगभग 50 मिलियन लोग घायल होते हैं ।
सड़क सुरक्षा के लिए शुरू की गई वैश्विक पहलें –
WHO की “सड़क सुरक्षा के लिए कार्रवाई का दशक 2021-2030″ हेतु वैश्विक योजनाः
- इसका उद्देश्य 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों और चोटों को 50 प्रतिशत तक कम करना है ।
- संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान ( UNITAR) की सड़क सुरक्षा पहल।
- सड़क सुरक्षा के लिए गैर-सरकारी संगठनों का एक वैश्विक गठबंधन बनाया गया है।
भारत में सड़क सुरक्षा के लिए शुरू की गई पहलें
- मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 (MVA) द्वारा वाहन सुरक्षा मानकों को और बेहतर बनाया गया है तथा नियमों के उल्लंघन पर दंड में भी वृद्धि की गई है।
- MVA के तहत राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड (NRSB) को अधिसूचित किया गया है।
- भारत ने ब्रासीलिया घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। साथ ही, सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिए प्रतिबद्धता भी प्रकट की है।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 4E रणनीति अपनाई है, अर्थात् Education – शिक्षा, Engineering (Roads / Vehicles ) – इंजीनियरिंग ( सड़क / वाहन), Enforcement – प्रवर्तन और Emergency care- आपातकालीन देखभाल ।
- खतरनाक दुर्घटनाओं के पीड़ितों की मदद करने वाले नेक व्यक्तियों (Good Samaritan ) को पुरस्कार देने की योजना शुरू की गई है।
स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड