‘सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0′ योजना
हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘सक्षम आंगनवाड़ी और राष्ट्रीय पोषण अभियान 2.0’ के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं ।
सक्षम आंगनवाड़ी और राष्ट्रीय पोषण अभियान 2.0 एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है। इसे 15वें वित्त आयोग की अवधि (2021-22 से 2025-28) के दौरान कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी गई है।
योजना के निम्नलिखित घटक हैं-
आकांक्षी जिलों और पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में पूरक पोषण कार्यक्रम के माध्यम से पोषण सहायता; आरंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (3-6 वर्ष) तथा प्रारंभिक प्रोत्साहन (0-3 वर्ष); आधुनिक व उन्नत सक्षम आंगनवाड़ी सहित आंगनबाड़ी बुनियादी ढांचा; तथा पोषण अभियान।
प्रमुख बदलाव-
- पोषण अभियान 0 के तहत आंगनबाड़ी सेवाएं सभी पात्र लाभार्थियों के लिए खुली हैं।
- लाभ प्राप्त करने के लिए बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है।
- किशोरियों के लिए योजना के तहत, लक्षित लाभार्थी किशोरियों के आयु वर्ग में संशोधन किया गया है। पहले 11-14 वर्ष के आयु वर्ग में स्कूल न जाने वाली लड़कियों को लक्षित किया गया था। अब असम और पूर्वोत्तर सहित आकांक्षी जिलों में भी 14 से 18 वर्ष के आयु वर्ग की सभी किशोरियों को लाभार्थी माना गया है।
- ये दिशा-निर्देश लाभार्थियों को पूरक पोषण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। साथ ही, स्थानीय रूप से उत्पादित खाद्यान्न को प्राथमिकता देते हैं।
- सप्ताह में कम से कम एक बार मोटे अनाज की आपूर्ति अनिवार्य की गई है।
- योजना में आयुष (आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध व होम्योपैथी) प्रणाली को भी एकीकृत किया गया है।
- पोषण और मात्रा मानकों की निगरानी के लिए जिला मजिस्ट्रेट को जिले में नोडल अधिकारी बनाया गया है।
- पोषण अभियान 0 (राष्ट्रीय पोषण मिशन) वर्ष 2018 में शुरू किया गया था
राष्ट्रीय पोषण मिशन:
- वर्ष 2018 में शुरू किया गया यह मिशन बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने के हेतु भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है।
- राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission) नीति आयोग द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय पोषण रणनीति (National Nutrition Strategy) द्वारा समर्थित है। इस रणनीति का उद्देश्य वर्ष 2022 तक भारत को कुपोषण से मुक्त करना है।
इस नीति के निम्नलिखित लक्ष्य थे:
- ठिगनापनः इससे जुड़े मामलों में प्रति वर्ष 2% की कमी लाना,
- अल्पपोषण: कुल मामलों में प्रति वर्ष 2 की कमी लाना,
- एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में): इससे जुड़े मामलों में प्रति वर्ष 3% की कमी लाना,
- अल्प वजन के साथ जन्मः कुल मामलों में प्रति वर्ष 2: की कमी लाना।
स्रोत –द हिन्दू