सकारात्मक हिंद महासागर डिपोल (आईओडी)
हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईओडी सूचकांक सकारात्मक सीमा से आगे बढ़ गया है।
आईओडी के बारे में:
- आईओडी पश्चिमी हिंद महासागर और पूर्वी हिंद महासागर के बीच समुद्री सतह के तापमान में अंतर है जो भारत में मानसून को प्रभावित करता है । इसलिए, इसे द्विध्रुव कहा जाता है। इसे ‘भारतीय नीनो’ भी कहा जाता है ।
- एक धनात्मक आईओडी घटना, जो पश्चिमी बेसिन में गर्म तापमान की विशेषता है, भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून को बढ़ा सकती है ।
हिंद महासागर द्विध्रुव के दो चरण हैं :
- धनात्मक आईओडी : यह तब होता है जब हिंद महासागर का पश्चिमी भाग (सोमालिया तट के पास), पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में अधिक गर्म हो जाता है। धनात्मक आईओडी भारतीय उपमहाद्वीप और अफ्रीकी तट पर वर्षा कराने के लिए अनुकूल माना जाता है, जबकि इंडोनेशिया, दक्षिण – पूर्वी एशिया और ऑस्ट्रेलिया में वर्षा की संभावना को कम करता है ।
- ऋणात्मक आईओडी : वहीं, पश्चिमी हिंद महासागर के ठंडा होने और पूर्वी हिंद महासागर के गर्म होने से ऋणात्मक आईओडी की स्थिति बनती है। इसके परिणामस्वरूप, ऑस्ट्रेलिया में अधिक वर्षा होती है, जबकि पूर्वी अफ्रीका में शुष्क स्थिति पैदा हो जाती है । लेकिन जब पूरे हिंद महासागर में तापमान सामान्य के करीब होता है, तो उस स्थिति को तटस्थ आईओडी कहते हैं ।
आईओडी का अल नीनो/ला नीना दक्षिणी दोलन (El Nino Southern Oscillation- ENSO) से संबंध
- आईओडी अल नीनो/ला नीना दक्षिणी दोलन (ENSO) से जुड़ा हुआ है । यह संबद्धता पश्चिम में वॉकर सर्कुलेशन के विस्तार के माध्यम से तथा प्रशांत महासागर से हिंद महासागर तक संबंधित गर्म जल के प्रवाह द्वारा प्रकट होती है। विदित हो कि ‘वॉकर सर्कुलेशन’ भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में वायु का प्रवाह है।
- धनात्मक आईओडी परिघटना सामान्यत: अल-नीनो से जुड़ी होती है । जो कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के तापमान में असामान्य रूप से वृद्धि करती है ।
- जबकि ऋणात्मक आईओडी की परिघटना ला-नीना से जुड़ी होती है ।इसके द्वारा असामान्य शीतलन की स्थिति देखी जाती है ।
स्रोत – द हिन्दू