Question – संसद सदस्यों के सामूहिक और व्यक्तिगत विशेषाधिकारों को सूचीबद्ध करते हुए, इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिए। – 11 January 2022
Answer –
संसदीय विशेषाधिकार मूल रूप से ऐसे विशेष अधिकार हैं जो प्रत्येक सदन को सामूहिक रूप से और सदन के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से प्राप्त होते हैं। ये अधिकार संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन अधिकारों का उद्देश्य सदनों, समितियों और संसद सदस्यों को उनके कर्तव्यों के कुशल और प्रभावी निर्वहन के लिए कुछ अधिकार और उन्मुक्तियां प्रदान करना है। संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 में क्रमशः संसद और राज्य विधानमंडलों के सदनों, सदस्यों और समितियों द्वारा प्राप्त विशेषाधिकार प्राप्त उन्मुक्तियों का उल्लेख है।
इस प्रकार, संसदीय विशेषाधिकार का सार संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और स्वायत्तता की रक्षा करना है। लेकिन यह अधिकार संसद सदस्यों को उनके नागरिक अधिकारों से मुक्त नहीं करता है।
विशेषाधिकारों का वर्गीकरण:
संसदीय विशेषाधिकार को दो व्यापक वर्गों में बाँटा जा सकता है। ये हैं- व्यक्तिगत अधिकार और सामूहिक अधिकार।
- व्यक्तिगत अधिकारों का उपयोग संसद द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। जबकि सामूहिक अधिकार संसद या राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों को प्राप्त होते हैं।
- सामूहिक अधिकार के अंतर्गत सदन की रिपोर्ट, वाद-विवाद कार्यवाहियों आदि मामलें में अन्य के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाना है। इसके अतिरिक्त सदन की अवमानना पर दंडित करने की शक्ति, कार्यवाही से बाहरी व्यक्तियों सहित सदस्यों को निष्कासित करना, विशेष मामलों पर गुप्त बैठक करना, सदस्यों के बंदी या मुक्ति व अपराध सिद्धि के संबंध में जानकारी प्राप्त करना, न्यायालयों को संसद की कार्यवाही की जाँच करने का निषेध आदि शामिल हैं।
- किसी सदस्य को प्राप्त व्यक्तिगत अधिकारों में – सदन के सत्र के दौरान, सत्र आरंभ होने के चालीस दिन पहले और सत्र समाप्ति के चालीस दिन बाद तक दीवानी मामलों में सदस्यों को गरफ्तारी से उन्मुक्ति, संसद में सदस्यों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि शामिल हैं।
सीमाएँ:
- यद्यपि संसदीय विशेषाधिकार संसद के अनिवार्य अंग के रूप में मौजूद हैं। फिर भी इनके दुरुपयोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
- कभी – कभी मीडिया द्वारा सांसदों की आलोचना करने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
- विशेषाधिकारों के उल्लंघन का कानून राजनीतिज्ञों को स्वयं के मामले में स्वतः न्याय करने की शक्ति प्रदान करता है। इस तरह उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को उचित सुनवाई के अधिकार से वंचित होना पड़ता है।
- इसके अतिरिक्त किसी सदस्य द्वारा सदन में की गई घोषणा या आश्वासन को विशेषाधिकारों के उल्लंघन या संसद की अवमानना के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है।
- कानूनी कार्यवाही के विकल्प के रूप में भी इसे प्रयोग किये जाने की संभावना रहती है।
महत्व:
- यह सदस्यों को सदन में बिना किसी भय के स्वेच्छा से अपने विचार प्रस्तुत करने और अपने दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करके स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चर्चा को सक्षम बनाते हैं।
- यह चर्चा को अनुचित तरीके से प्रस्तुत करने या कार्यवाहियों के समय से पूर्व प्रकाशन को रोकते हैं।
- सदन के भीतर कहे या दिए गए किसी वक्तव्य के संबंध में विधिक न्यायालय में कार्यवाही से उन्मुक्ति की स्वाभाविक परिणति आंतरिक स्वायत्तता के रूप में होती है।
- यह सदस्यों के संसदीय कर्तव्यों (गिरफ्तारी से उन्मुक्ति प्रदान करके) के अनुपालन को बाधित होने से रोकते हैं।
- यह सुनिश्चित करते हैं कि सदन में एक सदस्य की उपस्थिति को, किसी मामले में उसके ज्यूरी/साक्षी बनने जैसे अन्य सभी दायित्वों पर वरीयता प्रदान की जाएगी।
इस प्रकार, ये विशेषाधिकार दोनों सदनों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे सदस्यों के अधिकारों, सम्मान और सम्मान को बनाए रखते हैं और संसद सदस्यों को उनकी संसदीय जिम्मेदारियों के निर्वहन में सहायक होते हैं।