संसद का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया
संसद का शीतकालीन सत्र निर्धारित समय से एक दिन पहले स्थगित कर दिया गया। इस सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता 82% और राज्यसभा की उत्पादकता 48% रही।
अनिश्चित काल के लिए स्थगन का अर्थ संसद की बैठक का अनिश्चित काल के लिए आयोजित नहीं होना है। ध्यातव्य है कि यह शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी के पास होती है।
संसदीय उत्पादकता में गिरावट के बारे में –
PRS की रिपोर्ट के अनुसार 15वीं लोकसभा (वर्ष 2009-14) के दौरान, संसदीय कार्यवाही में बार-बार व्यवधान के परिणामस्वरूप लोकसभा अपने निर्धारित समय के 61% और राज्यसभा 66% ही काम कर पाई थी।
लगातार व्यवधानों और घटती उत्पादकता के कारण- विवादित और सार्वजनिक महत्व के मामलों पर चर्चा (बाल विवाह विधेयक और चुनाव सुधार विधेयक), संसदीय मानदंडों का पालन नहीं करने वाले दल, गैर-सूचीबद्ध चर्चा के लिए समर्पित समय का अभाव और दलगत राजनीति इत्यादि।
प्रतिकूल प्रभाव
सीमित जवाबदेही, संसदीय समितियों की अप्रभाविता को प्रेरित करती है। इसके कारण विधेयक शीघ्रता में पारित कर दिए जाते हैं और अध्यादेश की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। ये व्यवधान प्रतिनिधि लोकतंत्र में बाधा उत्पन्न करते हैं।
क्या किया जा सकता है:
सदन की बैठकों का एक वार्षिक कैलेंडर बनाना, बैठक के दिनों की संख्या बढ़ाना, विपक्षी दलों के लिए चर्चा के अवसर बढ़ाना, सदस्यों का प्रशिक्षण इत्यादि।
स्रोत – द हिन्दू