संसदीय समिति ने जारी की अंतर्राष्ट्रीय जल संधि समझौते पर रिपोर्ट
हाल ही में, जल संसाधन सम्बन्धी स्थाई संसदीय समिति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जल संधि समझौते पर रिपोर्ट जारी की गई है । समिति की रिपोर्ट में भारत –पकिस्तान और भारत-चीन जल समझौतों पर प्रकाश डाला गया है।
भारत-पाकिस्तान
- यह पाया गया है कि वर्तमान समय के प्रासंगिक और महत्वपूर्ण मुद्दों, यथा- जलवायु परिवर्तन, भूमंडलीय तापन और पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन आदि को ध्यान में नहीं रखा गया है।
- समिति द्वारा भारत सरकार से सिंधु जल संधि (Indus water Treaty: INT) पर पाकिस्तान के साथ पुनः वार्ता करने का सुझाव दिया गया है।
- भारत और पाकिस्तान के मध्य सिंधु नदी बेसिन के जल के बंटवारे के लिए विश्व बैंक की मध्यस्थता में WT पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- इस रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है कि सरकार को WT के तहत अनुमत जल भंडारण सहित पश्चिमी नदियों की सिंचाई और जल विद्युत क्षमता का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए।
भारत-चीन
- समिति ने आशंका व्यक्त की है कि यद्यपि चीन सरकार की ‘रन ऑफ द रिवर’ जैसी परियोजनाओं (जैसे- जांगमू) से जल का दिक्परिवर्तन नहीं होगा, परंतु टर्बाइनों को चलाने के लिए जल छोड़ने की संभावना से अनुप्रवाह (Downstream flow) में कुछ दैनिक परिवर्तन हो सकते हैं। इससे ब्रह्मपुत्र नदी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
- इसने भारत सरकार द्वारा चीनी गतिविधियों की निरंतर निगरानी करने की अनुशंसा की है, ताकि ब्रह्मपुत्र नदी पर किसी भी तरह के बड़े हस्तक्षेप से हमारे राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
- समिति ने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र और सतलज नदीके संबंध में जल विज्ञान संबंधी (हाइड्रोलॉजिकल) डेटा साझा करने पर संतोष व्यक्त किया है।
- वर्तमान में, भारत और चीन के मध्य कोई भीजल संधि अस्तित्व में नहीं है।
स्रोत – द हिन्दू