संसदीय समिति ने उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान मॉडल की प्रशंसा की
हाल ही में ‘महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अत्याचार एवं अपराध’ पर संसद की स्थायी समिति की अनुशंसाओं पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की गई।
- इस समिति ने राज्य सरकारों द्वारा आरंभ की गई हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता हेतु विभिन्न विभागोंको आपस में जोड़ने और सिंगल-विंडो सिस्टम स्थापित करने जैसी पहलों की सराहना की है।
- इस रिपोर्ट में महिलाओं के लिए प्रारंभ की गई कुछ पहलों को रेखांकित किया गया है।
गृह मंत्रालय द्वारा आरंभ की गई पहले
लैंगिक अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (Investigation Tracking System for Sexual Offences- ITSSO):
- यह दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अनुसार लैंगिक अपराधों में पुलिस जांच की निगरानी और पर्यवेक्षण करने के लिए एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक उपकरण है।
- लैंगिक अपराधियों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस (NDSO) निर्मित किया गया है।
- आपराधिक मामलों के निपटान में समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों की सुविधा हेतु स्थगनचेतावनी मॉड्यूल।
- जघन्य अपराधों और अंतर-राज्यीय अपराधों के मामलों में समन्वय से संबंधित अन्य मुद्दों पर जानकारी साझा करने हेतु क्राइम मल्टीएजेंसी सेंटर (Cri-MAC) की स्थापना की गई है।
मोडस ऑपरेंडी (कार्यप्रणाली) मॉड्यूलः इसे देश भर के जांच अधिकारियों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है।
आपात प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली (ERSS): यह अखिल भारतीय, एकल तथा कई आपात स्थितियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नंबर 112 है।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम (Cyber Crime Prevention against Women and Children: CCPWC) योजना।
स्रोत –द हिन्दू