संसदीय सत्र की समाप्ति
हाल ही में, लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (Adjourns Sine Die) किया गया इसी के साथ मानसून सत्र समाप्त हो गया है, जबकि लोकसभा के मानसून सत्र को समाप्त करने की निर्धारित तिथि 13 अगस्त थी।
यह मानसून सत्र विगत दो दशकों में लोकसभा के लिए तीसरा सबसे कम उत्पादक (21%) सत्र और राज्यसभा के लिए आठवां सबसे कम उत्पादक (28%) सत्र था ।
संसदीय व्यवधान के कारणः
- विवादित और लोक महत्व के मामलों पर चर्चा उदाहरणतः पेगासस ।
- गैर-सूचीबद्ध चर्चा के लिए समर्पित समय का अभाव ।
- अनुशासनात्मक शक्तियों का अल्प उपयोग।
सत्र के दौरान व्यवधान समाप्त करने के लिए सुझावः
विपक्ष के लिए गारंटीकृत समय का प्रावधानः ब्रिटिश संसद विपक्ष के लिए वर्ष में 20 दिन आवंटित करती है। इन विशिष्ट दिनों का एजेंडा विपक्ष द्वारा निर्धारित किया जाता है।
राज्यसभा और लोकसभा की बैठकों के लिए क्रमशः 100 दिनों और 120 दिनों की न्यूनतम अवधि निर्धारित की जानी चाहिए। इस हेतु संविधान के कार्यचालन की समीक्षा हेतु राष्ट्रीय आयोग (National Commission to review the working of the Constitution: NCRWC) (2002) की अनुशंसाएं लागू की जानी चाहिए।
संसदीय कार्यक्रम सरकार द्वारा तय किया जाता है। सरकार असहज मुद्दों का सामना करने पर किसी एक सत्र को स्थगित या उसकी अवधि को कम कर सकती है।
इसमें सुधार के लिए: सीमित लोचशीलता हेतु प्रत्येक वर्ष के आरंभ में बैठकों के कैलेंडर की घोषणा की जानी चाहिए।
सत्र की समाप्ति:
विदित हो कि संसद के किसी भी सत्र को ‘स्थगन’ (Adjournment), अनिश्चित काल के लिए स्थगन (Adjournment Sine Die), सत्रावसान (Prorogation) और विघटन (Dissolution) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है।
अनिश्चित काल के लिए स्थगन:
अनिश्चित काल के लिए स्थगन (Adjournment sine die) का अर्थ अनियत समय के लिए संसद की बैठक को समाप्त करना है। इसका तात्पर्य यह है कि जब सदन को उसकी आगामी बैठक की तिथि का उल्लेख किए बिना स्थगित कर दिया जाता है, तो इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगन कहा जाता है।अनिश्चित काल के लिए स्थगन की शक्ति सदन के पीठासीनअधिकारी के पास होती है।
स्रोत –द हिन्दू