संविधान 127वां संशोधन विधेयक 2021
विधेयक का उद्देश्य
102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 में कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करना है। यह इसलिए प्रस्तुत किया गया है, ताकि पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्यों कीशक्ति को पुनर्स्थापित करने में सहायता की जा सके।
102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 ने राष्ट्रीय पिछड़ावर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes: NCBC) को अनुच्छेद 338B के तहत संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है।
इस संशोधन ने दो नए अनुच्छेद भी समाविष्ट किए थे।
नए अनुच्छेद हैं-
- अनुच्छेद 342A, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित है।
- अनुच्छेद 366 (260), सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को परिभाषित करता है।
हालांकि, यह मुद्दा तब प्रकट हुआ जब उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में मराठों के लिए आरक्षण कोटा को निरस्त कर दिया था। इस निर्णय में तर्क दिया गया था कि 102वें संविधान संशोधन अधिनियम 2018 के लाग होने के उपरांत, केवल केंद्र सरकार ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को अधिसूचित कर सकती है, राज्य सरकार नहीं।
वर्ष 1993 से भारत में OBC सूचियां केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा पृथक-पृथक तैयार की जाती हैं।
अनुच्छेद 15(4), 15(5) एवं 16(4) राज्य को सामाजिकऔर शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची की पहचान करने तथा उनकी घोषणा करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
इस प्रकार 127वां संशोधन विधेयक अनुच्छेद 338B, 342A 2 और 366(26C) में संशोधन करके यह स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार तथा संघ शासित प्रदेशों को SEBCs की अपनीराज्य सूची/संघ शासित प्रदेश सूची तैयार करने व उसे बनाए रखने का अधिकार है।
स्रोत – द हिन्दू