संविधान की नौवीं अनुसूची
हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने उच्चतर कोटा संबंधी विधेयकों को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रधान मंत्री से राज्य के संशोधित आरक्षण प्रावधानों को नौवीं अनुसूची में सूचीबद्ध करने का आग्रह किया है। ये संशोधित प्रावधान राज्य में 76 प्रतिशत आरक्षण का उपबंध करते हैं।
- नौवीं अनुसूची में केंद्र और राज्यों के ऐसे कानूनों की सूची दी गई है, जिन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
- इसे प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा एक नया अनुच्छेद 31B सम्मिलित करके संविधान में जोड़ा गया था।
- अनुच्छेद 31B में कहा गया है कि नौवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भी अधिनियम / विनियम को इस आधार पर शून्य नहीं माना जाएगा, कि वे किसी भी अधिकार के साथ असंगत हैं ।
- अनुच्छेद 31B प्रकृति में पूर्वप्रभावी (retrospective) है। वर्तमान में, इस अनुसूची में 284 अधिनियम / कानून हैं। इनमें से अधिकतर कृषि और भूमि कानूनों से संबंधित हैं।
नौवीं अनुसूची और इसकी न्यायिक जांच
- वामन राव बनाम भारत संघ वाद, 1981: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान में 24 अप्रैल, 1973 से पहले किए गए संशोधन वैध हैं। यह फैसला केशवानंद भारती के निर्णय और मूल ढांचे के सिद्धांत के विकास के अनुसार था ।
- IR कोल्हो बनाम तमिलनाडु राज्य वाद, 2007: नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले में निर्णय दिया था कि, अनुसूची IX को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है, लेकिन इसे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करने के आधार पर ।
स्रोत – द हिन्दू