संयुक्त राष्ट्र में भारत का आतंकवाद के खिलाफ संबोधन
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने संबोधित किया कि, आतंकवाद को वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए।
- वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति (Global Counter Terrorism Strategy: GCTS) की 7वीं समीक्षा के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि ‘आतंकवाद का खतरा गंभीर और सार्वभौमिक है, तथा इसे बिना किसी अपवाद के संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के सामूहिक प्रयासों से ही पराजित किया जा सकता है।
- नस्लीय और नृजातीय रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद, हिंसक राष्ट्रवाद, दक्षिणपंथी उग्रवाद आदि जैसी नई श्रेणियां आतंकवाद के ही रूप हैं। आतंकवाद की सार्वभौमिक रूप से सहमत परिभाषा का निरंतर अभाव इसे समाप्त करने के सामूहिक लक्ष्य के लिए हानिकारक है।
- वर्ष 1996 में, भारत ने आतंकवाद का मुकाबला करनेके लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करने हेतु संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय’ (Comprehensive Convention on International Terrorism: CCIT) को अपनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था (इसेअभी तक अंगीकृत नहीं किया गया है)।
- वर्ष 2006 में अंगीकृत संयुक्त राष्ट्र-वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति (UN-GCTS) आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों केसंवर्धन हेतु एक विशिष्ट वैश्विक साधन है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद को रोकने के लिए भारत के अन्य प्रयास
- भारत के संकल्प ‘आतंकवादियों को सामूहिक विनाश के हथियार हासिल करने से रोकने के उपाय (Measures to prevent terrorists from acquiring weapons of mass destruction) को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिना मतदान के सर्वसम्मति से अंगीकृत किया गया था।
- मई 2021 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के संकल्प1373 की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए आठ सूत्री कार्य योजना प्रस्तुत की थी।
स्रोत – द हिन्दू