संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) का15वां सम्मेलन संपन्न
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) के पक्षकारों का15वां सम्मेलन (COP-15)संपन्न हुआ है । इस अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification) को वर्ष 1994 में अपनाया गया था।
मरुस्थलीकरण और सूखे के प्रभावों को संबोधित करने वाला यह कानूनी रूप से बाध्यकारी एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। भारत भी इस समझौते का हस्ताक्षरकर्ता है।
COP-15 के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
नई प्रतिबद्धताएं :
- वर्ष 2030 तक एक अरब हेक्टेयर निम्नीकृत (डिग्रेडेड) भूमि के पुनर्स्थापन में तेजी लाई जाएगी। यह कार्य डेटा संग्रह और निगरानी में सुधार के माध्यम से किया जाएगा।
- वर्ष 2022-2024 के लिए सूखे पर एक अंतर-सरकारी कार्य समूह की स्थापना की जाएगी। यह समूह सूखा प्रबंधन की प्रतिक्रियात्मक पद्धति की बजाये अग्रसक्रिय पद्धति को अपनाने में मदद करेगा।
- मरुस्थलीकरण और भूमि निम्नीकरण की वजह से जबरन प्रवास एवं विस्थापन की समस्या को संबोधित किया जायेगा। इसके लिए ऐसे सामाजिक और आर्थिक अवसर पैदा किए जाएंगे, जो ग्रामीण लोचशीलता और आजीविका की स्थिरता को बढ़ावा देंगे।
- प्रभावी भूमि पुनर्स्थापन के लिए महत्वपूर्ण सहायक के रूप में भूमि प्रबंधन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाएगा।
अन्य पहले–
- भूमि के लिए व्यवसाय पहलः इसका उद्देश्य इस पहल में भाग लेने वाली कंपनियों द्वारा भू-निम्नीकरण तटस्थता की दिशा में की गई प्रतिबद्धताओं को स्पष्ट करना है।
- यह प्रतिबद्धता आपूर्ति श्रृंखला और निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधि, दोनों में स्पष्ट होनी चाहिए।
- साहेल सोर्सिंग चैलेंजः ग्रेट ग्रीन वाल (GGW) विकसित करने वाले समुदायों को प्रगति की निगरानी करने, रोजगार सृजित करने और अपनी उपज का व्यवसायीकरण करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम बनाया जायेगा।
- ग्रेट ग्रीन वाल अफ्रीकी नेतृत्व वाला आंदोलन है। इसका उद्देश्य अफ्रीका की संपूर्ण चौड़ाई में 8,000 किलोमीटर में विश्व का प्राकृतिक (हरित) आश्चर्य विकसित करना है।
- ड्राउटलैंड: यह UNCCD का नया जन जागरूकता अभियान है।
स्रोत –द हिन्दू