संयुक्त बाल कुपोषण अनुमान 2023 रिपोर्ट जारी
हाल ही में “बाल कुपोषण का स्तर और रुझानः संयुक्त बाल कुपोषण अनुमान 2023” रिपोर्ट जारी की गई है।
- यह रिपोर्ट यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व बैंक समूह ने संयुक्त रूप से जारी की है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के वैश्विक पोषण के लक्ष्यों तथा 2030 तक सतत विकास लक्ष्य (SDG) 2.2 के उप-लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में प्रगति अपर्याप्त रही है।
- SDG-2.2 कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करने से संबंधित है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष –
- वर्ष 2022 में, दुनिया भर में पांच साल से कम आयु के 3 प्रतिशत बच्चे ठिगनेपन (Stunting) से ग्रसित थे। अपनी आयु के हिसाब से बहुत कम लंबे बच्चे को ठिगना कहा जाता है।
- भारत में 2022 में ठिगनेपन की दर 7 प्रतिशत थी। यह 2012 के 41.6 प्रतिशत की तुलना में कम है।
- वर्ष 2022 में, पांच वर्ष से कम आयु के लगभग 45 मिलियन बच्चे ( 8 प्रतिशत) दुबलेपन (Wasting) से ग्रसित थे । दुबलेपन से ग्रसित बच्चे अपनी लंबाई के हिसाब से बहुत कमजोर होते हैं।
- वर्ष 2020 में, 18.7 प्रतिशत भारतीय बच्चे दुबलेपन से पीड़ित थे । इसका प्रमुख कारण निम्न पोषक तत्वों वाले आहार का सेवन और / या बार-बार होने वाली बीमारियां हैं।
- वैश्विक स्तर पर पांच साल से कम आयु के 37 मिलियन बच्चे (6 प्रतिशत) अधिक वजन वाले हैं। अधिक वजन से तात्पर्य बच्चे का वजन उसकी लंबाई के हिसाब से बहुत ज्यादा है।
- वर्ष 2022 में भारत में 8 प्रतिशत बच्चे अधिक वजनी थे। वर्ष 2012 में यह आंकड़ा 2.2 प्रतिशत था ।
- कुपोषण कम या अधिक पोषक तत्वों के सेवन, आवश्यक पोषक तत्वों के असंतुलन या पोषक तत्वों के गलत तरीके से उपयोग को कहा जाता है ।
कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए भारत में शुरू की गई पहलें:
- समेकित बाल विकास योजनाएं (ICDS) शुरू की गई है;
- पोषण पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जा रही है;
- पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) की शुरुआत की गई है आदि ।
स्रोत – द हिन्दू