भारत की राष्ट्रपति और संथाल जनजाति
हाल ही में द्रौपदीमुर्मू को भारत का राष्ट्र्पति बनाया गया है। विदित हो कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदीमुर्मू का संबंध संथाल जनजाति से है।
ये स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में पहली जनजातीय महिला हैं, जो राष्ट्रपति बनी हैं। वे भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुई हैं।
संथाल जनजाति के बारे में
- यह देश में तीसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जनजाति समुदाय है।
- इनकी ज्यादातर आबादी ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में निवास करती है।
- संथाल जनजाति के लोग संथाली भाषा बोलते हैं। यह भाषा ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार से संबंधित है। ओलचिकीसंथालों की अपनी लिपि है। इसे वर्ष 1925 में डॉ रघुनाथ मुर्मू ने विकसित किया था।
- संथालों ने वर्ष 1855-56 में ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध संथाल विद्रोह (हुल) किया था।
हूल/संथाल विद्रोह (1855-56)
- इस विद्रोह के मुख्य नेता सिद्वो और कान्हू थे, तथा इस विद्रोह का प्रमुख क्षेत्र दामन-एकोह/संथाल परगना (भागतपुर से राजमहल की पहाड़ियों का क्षेत्र) था। संथाल पूर्वी भारत के विभिन्न जिलों, जैसे- बीभूम, बाँकुड़ापलामू, छोटा नागपुर इत्यादि में फैले थे।
- संथाल विद्रोह का कारण अंग्रेजी उपनिवेशवाद, महाजनों द्वारा अत्यधिक ब्याज वसूली, पुलिस के भ्रष्टाचार, संथालों की गरीबी, अंग्रेजी अदालतों से न्याय न मिलना या देरी से मिलता और अपनी जमीनों से बेदखल किया जाना आदि रहे।
- अगस्त 1855 में सिद्धो और फरवरी में 1856 में कान्हु पकड़ा गया।
- ब्रिटिश सरकार ने एक बड़ी सैनिक कार्यवाही करके 1856 में भागलपुर के कमिश्नर ग्राउन और मेजर जनरल लायड के नेतृत्व में संथाल विद्रोह को क्रूरता पूर्वक दबा दिया ।
- संथाल विद्रोह शान्त हो जाने के बाद नवंबर 1856 में विधिवत संथाल परगना जिला की स्थापना की गई और एशलीएडेन को प्रथम जिलाधीश बनाया गया।
स्रोत– द हिंदू