संगठित और असंगठित बेरोजगारी आजीविका रिपोर्ट

संगठित और असंगठित बेरोजगारी आजीविका रिपोर्ट

बढ़ती बेरोजगारी तथा संगठित और असंगठित क्षेत्रों में नौकरियों और आजीविका की हानि पर कोविड-19 के प्रभाव से संबंधित रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की गई।

इस रिपोर्ट को श्रम संबंधी स्थायी समिति द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया है।

इसमें निम्नलिखित तथ्यों को चिन्हित किया गया है:

  • इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में लगभग आधे औपचारिक वेतनभोगी कर्मचारी, अनौपचारिक रोजगारों की ओर स्थानांतरित हो गए थे।
  • मार्च, 2020 तक बेरोजगारी की कुल दर 8.4% से बढ़कर 25.8% हो गई थी।
  • भारत में अनौपचारिक क्षेत्र के 40 करोड़ से अधिक श्रमिक, व्यापक निर्धनता से ग्रस्त हो गए हैं। (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन का मॉनिटर द्वितीय संस्करणः कोविड-19 एंड वर्ल्ड ऑफ वर्क के अनुसार)

सुझाव

  • कोविड-19 जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान अनौपचारिक श्रमिकों के लिए नकद हस्तांतरण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • पीएम-स्वनिधि (PM-SVANidhi) योजना के तहत पथ विक्रेताओं (स्ट्रीट वेंडस) को दिए गए ऋण को प्रत्यक्ष नकद अनुदान में परिवर्तित किया जाना चाहिए। “पीएम-स्वनिधि योजना” के तहत, पथ विक्रेता 10,000 रुपये तक का कार्यशील पूंजी ऋण प्राप्त कर सकते।
  • मनरेगा के तहत गारंटीकृत रोजगार के अधिकतम दिनों में वृद्धि और श्रमिकों को अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाना चाहिए।
  • श्रमिकों के लिए मनरेगा के अनुरूप रोजगार गारंटी कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।
  • कोविड-19 के प्रभाव को कम करने हेतु रोजगार की प्रकृति को औपचारिक बनाना, उत्पादकता में वृद्धि करना, मौजूदा आजीविका को सुदृढ़ करना आदि प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं।

कोविड-19 के दौरान सरकार द्वारा किए गए उपायः

  • आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना।
  • एक राष्ट्र एक राशन कार्ड।
  • प्रवानमंत्री गरीब कल्याण
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान।
  • विदेश में कार्यरत भारतीयों के लिए स्वदेश (SWADES) पहल।

स्रोत – द हिन्दू

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