श्री सप्तकोटेश्वर देवस्थान का जीर्णोद्धार
हाल ही में प्रधानमंत्री ने गोवा के नरवे, बिचोलिम में स्थित श्री सप्तकोटेश्वर देवस्थान के जीर्णोद्धार पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
श्री सप्तकोटेश्वर देवस्थान
- सप्तकोटेश्वर बारहवीं शताब्दी के आसपास कदंब वंश के राजाओं के देवता रहे हैं। इस युग से मिले सिक्कों में राजा जयकेशी के साथ-साथ देवता के नाम का भी उल्लेख है।
- इसे बहमनी शासकों द्वारा अपवित्र किया गया था और विजयनगर शासन के दौरान इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
- पुर्तगाली विजय के बाद, 1540 में एक बार फिर मंदिर के लिंग स्थापना को हटा दिया गया था।
- इसके तुरंत बाद, इसे नारायण शेणवी सूर्यराव नाम के एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा तस्करी कर ले जाया गया और लताम्बरसेम नामक स्थान पर ले जाया गया जहाँ यह 3 साल तक रहा।
- 1543 में इसे दिवार द्वीप के पास एक मंदिर में स्थापित किया गया था। मराठा राजा शिवाजी ने 1664 में इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की।
- 1668 में पुर्तगालियों के खिलाफ गोवा में अपने कई अभियानों में से एक के दौरान उन्होंने नरवे में सप्तकोटेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार और लिंग को उसके उचित स्थान पर स्थापित करने का आदेश दिया।
- इस आदेश का उल्लेख करने वाली पत्थर की पट्टिका आज भी मंदिर के प्रवेश द्वार के पास देखी जा सकती है।
- यह मंदिर एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मील का पत्थर है जिसे वर्ष 2018 में जीर्णोद्धार के लिए शुरू किया गया था, जो छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा जीर्णोद्धार किये गए मंदिर के 350 साल पूरे होने का प्रतीक है।
स्रोत – पी.आई.बी.