‘प्रसाद योजना’ के तहत ‘श्रीशैलम मंदिर’ की विकास परियोजना का उद्घाटन

प्रसाद योजनाके तहत श्रीशैलम मंदिर की विकास परियोजना का उद्घाटन

हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने प्रसाद (PRASHAD) योजना के तहत आंध्र प्रदेश में ‘श्रीशैलम मंदिर’ की विकास परियोजना का उद्घाटन किया है।

श्रीशैलम मंदिर के बारे में

  • यह आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में कृष्णा नदी के तट पर स्थित नल्लामाला पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है।
  • यह मंदिर भगवान शिव (भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी) और देवी पार्वती ( देवी भ्रमराम्बा देवी) को समर्पित है।
  • यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जो शैव और शाक्त, दोनों के उपासकों के लिए पवित्र है।
  • इसके पीठासीन देवता लिंगम के आकार में भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी हैं ।
  • इसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और पार्वती के 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
  • इसे पाडल पेत्रा स्थलम में से एक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है, जिसे तमिल तेवरम भजनों में गौरवान्वित किया गया है।
  • इसका प्राचीनतम उल्लेख सातवाहन राजवंश के शासक पुलुमावी के दूसरी शताब्दी ई. के नासिक शिलालेख में प्राप्त होता है।
  • इसे इक्ष्वाकु शासकों का संरक्षण (200-300 ईस्वी) भी प्राप्त था। रेड्डी शासकों (1325-1448) के समय इसका स्वर्ण युग माना जाता है। चालुक्य, काकतीय और विजयनगर साम्राज्य ने भी इसके विकास में योगदान दिया था।

प्रसाद’ (PRASHAD) योजना

  • यह केंद्रीय क्षेत्रक की एक योजना है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन पर राष्ट्रीय मिशन’ शुरू किया गया था।
  • अक्तूबर 2017 में योजना का नाम बदलकर ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्द्धन अभियान’ –प्रसाद (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive -PRASHAD) राष्ट्रीय मिशन कर दिया गया।
  • इस योजना के तहत चिह्नित परियोजनाओं को संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकार द्वारा चिह्नित एजेंसियों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा।

योजना का उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के लिए तीर्थ व विरासत से संबंधित पर्यटन स्थलों का उपयोग करने के लिए एकीकृत अवसंरचना विकास पर ध्यान देना है।
  • साथ ही महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय/वैश्विक तीर्थ और विरासत स्थलों का कायाकल्प एवं आध्यात्मिक संवर्द्धन।

वित्तपोषण:

  • इसके तहत पर्यटन मंत्रालय द्वारा चिह्नित स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकारों को केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान की जाती है।
  • इस योजना के तहत सार्वजनिक वित्तपोषण के घटकों के लिये शत-प्रतिशत निधि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
  • परियोजना की बेहतर स्थिरता/निरंतरता के लिये यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) को भी शामिल करने का उद्देश्य रखता है।

स्रोत – पी.आई.बी.

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